राम-भरत का मिलन देख लीला प्रेमियों की आंखें हुई नम

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 रेणुकूट। हिण्डाल्को रामलीला परिषद् द्वारा हिण्डाल्को रामलीला मैदान पर आयोजित हो रही रामलीला के पांचवें दिन चित्रकूट में भरत मिलाप, श्रीराम का पंचवटी प्रवास, शूर्पनखा नासिका भंग आदि लीलाओं का सजीवता से मंचन किया गया। लीलाओं में भरतजी अयोध्यावासियों के साथ वन में जाते हैं तो इन्हें निषादराज मिलते हैं जो भरतजी के साथ इतने बड़े जनसमूह को देख कर सोचते है कि हो न हो भरतजी श्रीराम को मारने जा रहे है लेकिन भरतजी से मिलने पर उन्हें सत्यता का पता चलता है और वे भरतजी को रास्ता बताते हुए श्रीराम के पास चित्रकूट पहुंचा देते हैं। चित्रकूट में भरतजी और श्रीरामजी का मार्मिक मिलन होता है जिसे देखकर लीला प्रेमियों की आंखें भर आती हैं। भरतजी श्रीराम से अयोध्या लौट चलने की विनती करते हैं लेकिन अपने पिता को दिए वचनों का पालन करते हुए भरतजी को अपनी खड़ाऊ देते हैं जिन्हें लेकर भरतजी अयोध्या लौट जाते हैं। अगले दृश्य में एक सुन्दर नारी का रूप धर कर रावण की बहन शूर्पनखा श्रीराम से विवाह करने को कहती हैं। श्रीराम के विवाहित होने के कारण शूर्पनखा लक्ष्मणजी से विवाह करने के लिए अड़ जाती हैं और क्रोध में लक्ष्मणजी शूर्पनखा की नाक काट लेते हैं। शूर्पनखा की कटी नाक देख कर लीला प्रेमी हंसी से लोट-पोट हो जाते हैं। कटी नाक लेकर शूर्पनखा भाई रावण के दरबार में पहुंचती हैं जिसे देखकर रावण अत्यंत क्रोधित हो जाता है और सीता हरण के लिए अपने मायावी मामा मारीच के साथ प्रस्थान कर जाते है। इसी के साथ पांचवें दिन की लीलाओं का समापन होता है। इससे पूर्व ने हिण्डाल्को के रिडक्शन हेड- जे.पी. नायक, तथा इलेक्ट्रिकल हेड- एचआर सिंह ने सपत्नी गणेश पूजन कर पांचवें दिन की लीलाओं का शुभारंभ किया। रामलीला परिषद् के अध्यक्ष प्रमोद उपाध्याय ने बताया कि छठे दिन सीता हरण, शबरी भक्ति, राम-सुग्रीव मित्रता, बाली वध, सीता की खोज व लंका दहन आदि लीलाओं का मंचन किया जाएगा।

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