संध्या श्रीवास्तव द्वारा लिखित कहानी की पुस्तक ‘परिणीता’ का हुआ लोकार्पण

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स्याही प्रकाशन से प्रकाशित कहानी संग्रह ‘परिणीता’ का हुआ लोकार्पण

वाराणसी। रविवार को सरसौली भोजूबीर स्थित ‘स्याही प्रशासन’ के ‘उद्गार’ सभागार में संध्या श्रीवास्तव के द्वारा लिखित पुस्तक ‘परिणीता’ का लोकार्पण एवं विशाल काव्य सभा का आयोजन किया गया। जिसमें कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व न्यायाधीश डॉक्टर चंद्रभाल सुकुमार, मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मुक्ता, विशिष्ट अतिथि प्रकाशक व संपादक पंडित छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ और अतिथियों में  भोलानाथ तिवारी विह्वल, डा. दयाराम विश्वकर्मा एवं डॉ. मंजरी पाण्डेय आदि गणमान्य रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया। सरस्वती वंदना कवि सुनील सेठ ने किया। इस अवसर पर संध्या श्रीवास्तव ने सर्वप्रथम सभी अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्र से किया। तत्पश्चात अतिथियों ने कहानीकार श्रीमती संध्या श्रीवास्तव द्वारा लिखित पुस्तक ‘परिणीता’ का लोकार्पण किया। फिर पूरा सभागार तालियों से गूँज उठा। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर लियाकत अली ने किया।
पुस्तक के सपादक एवं प्रकाशक पंडित छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने कहा कि ‘परिणीता’ की कहानी समाज के तात्कालिक परिवेश के इर्द-गिर्द घूमती है। मैंने जब इसका संपादन किया तो इन कहानियों में आम आदमी के जीवन की सभी संवेदनात्मक सुगन्ध भरी मिली। अपना विचार व्यक्त करते हुये कुंठित जी ने कहा कि पुस्तक हमेशा समाज की पथ प्रदर्शक होती है, खासकर कहानी से लोग जीवन का सबक लेते हैं। संग्रह ‘परिणीता’ में इस तरह की कहानियां हैं जो घर-घर में कहीं ना कहीं दिखाई पड़ती हैं। वहीं बड़ी हर्ष के साथ इस कहानी को प्रकाशित किया गया।

वहीं इसी विचार क्रम में मुख्य अतिथि डॉक्टर मुक्ता ने कहा कि साहित्यकार और लेखक समाज के दिशा और दशा को बदलने की कोशिश करते हैं। डॉ मंजरी ने पाण्डेय ने कहा कि पुस्तकों को लिखना सहज है और उन्हें प्रकाशित कर करके समाज को आइना दिखाना कठिन है। अतिथि डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा ने कहा कि बहन संध्या श्रीवास्तव जी की पुस्तक जीवन की सही सोच देती है, इन्हें बहुत-बहुत बधाई।
संध्या श्रीवास्तव की कहानी पारित बहुत ही सरल और सरल भाषा में है। अपनी पुस्तक के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैंने जब समाज को नजदीक से देखा और लोगों की पीड़ाओं को समझा तो उसपर मेरी कलम तेज रफ्तार तलवार की धार की तरह आगे बढ़ने लगी। मेरी कहानियों में समाज का दर्द और पीड़ा छुपी हुई है।
तत्पश्चात काव्य सभा प्रारंभ हुई। जिसमें नगर के सम्मानित कविगण और कवयित्रियाँ मौजूद रही। काव्य सभा में प्रकाशक पंडित छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’, संचालक डा0 लियाकत अली जलज, डा0 डी. आर. विश्वकर्मा, सुनील कुमार सेठ, भोलानाथ तिवारी विह्वल, शिब्बी ममगाई, खुशी मिश्रा, मंजरी पाण्डेय, डा. नसीमा निशा, झरना मुखर्जी, सिद्धनाथ शर्मा, करुणा सिंह, माधुरी मिश्रा, संगीता श्रीवास्तव, कंचन लता चतुर्वेदी, महेन्द्रनाथ तिवारी अलंकार, संतोष प्रीत, दशरथ चौरसिया, शरद श्रीवास्तव, देवेन्द्र पाण्डेय, आशिक बनारसी, खलील अहमद राही, समीम गाजीपुरी, टीकाराम शर्मा, डा0 बैजनाथ श्रीवास्तव, अचला पाण्डेय, मनोज पाण्डेय, आकाश कहार, प्रियांशु मिश्रा सहित अनेक साहित्यकार व कवि रहे।

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