दीप को जलने दो साथी

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डा. केवलकृष्ण पाठक

दीप को जलने दो साथी,घर में तब प्रकाश होगा,

सत्पथ पर चलने से ही,कलुषता का नाश होगा

अपने मन में है अँधेरा,तब ही मन में कलुषता है

द्वेष-हिंसा व घृणा का,राग सब को कुचलता है

डीप मन में ही जला कर,कलुषता का नाश होगा

सत्पथ पर चलने से ही,कलुषता का नाश होगा

देश में हो भाईचारा ,तब ही यह फूलेफलेगा

प्रेम पनपेगा तो फिर,कोई ना शोषण कर सकेगा

मधुर हो व्यवहार तो फिर ,सबके मन में प्यार होगा

सत्पथ पर चलने से ही,कलुषता का नाश होगा

=संपादक रवींद्र ज्योति मासिक ,343/19,आनंद निवास ,

गीता कालोनी ,जींद 126102 (हरियाणा ) मोब .9518682355

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