वाराणसी। साहित्य समाज का आईना है, साहित्य समाज को सही दिशा प्रदान करने में सहायक है, यह बात स्याही प्रकाशन के उद्गार सभागार में खुशी मिश्रा द्वारा रचित पत्थर नहीं हूं मैं के लोकार्पण के अवसर पर प्रकाशक पं0 छतिश द्विवेदी ‘कुंठित‘ ने कही। वे स्याही प्रकाशन के उद्गार सभागार में खुशी मिश्रा द्वारा रचित पुस्तक का लोकार्पण अन्नपूर्णा प्राइवेट लिमिटेड ग्रुप के निदेशक भुनेश्वर नाथ तिवारी, डा दयाराम विश्वकर्मा के साथ संयुक्त रुप से कर रहे थे। इस अवसर पर सर्वप्रथम मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया गया। भुनेश्वर नाथ तिवारी ने पुस्तक लेखन कार्य को अनन्त उन्नति की यात्रा बताया और कवयित्री खुशी मिश्रा के कार्य से प्रभावित होकर उसकी आगामी जिन्दगी की पूरी शिक्षा का खर्चा अन्नपूर्णा कम्पनी वहन करेगी ऐसी घोषणा की। श्री नागेन्द्र नाथ मिश्रा ने अपनी ओर से एक वर्ष की पूरी फीस अदा करने की बात कही। वहीं बतौर अध्यक्ष उपस्थित डा. दयाराम विश्वकर्मा ने आशीष देते हुये कहा कि तुम शिखरों तक बढ़ते जाना, जहां क्षितिज का अंत न हो! दीप प्रज्वलन के बाद सरस्वती वंदना कवि सुनील कुमार सेठ ने किया। इस अवसर पर अलख प्रकाश मिश्रा खुशी मिश्रा के पिता ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
माल्यार्पण के द्वारा सभी को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भूनेश्वर नाथ तिवारी, नागेन्द्र नाथ मिश्रा, श्री धर्मसंघ शिक्षा मण्डल के महामंत्री जगजीतन पाण्डेयव मेयर अशोक तिवारी को अलख प्रकाश मिश्रा ने स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम में प्रकाशन के अधिष्ठाता व अध्यक्ष छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने प्रकाशक की भूमिका में बोलते हुए कहा किसी के द्वारा रचित गीत गजल और गीतों का प्रकाशन करता हूं तो उसकी सारी प्रक्रिया को पूर्ण रूप से मैं निभाता हूं रचनाकार और प्रकाशक दोनों के अनुबंध से ही किताबें छपती हैं। वही खुशी मिश्रा की बड़ी मां गीता मिश्रा ने भी अपना आशीर्वचन दिया। साथ में खुशी मिश्रा की मां पूनम मिश्रा भी गदगद हुई। उन्होंने कहा जब बेटियां अपने कुल खानदान का नाम रोशन करतीं हैं तो मन हर्षित हो जाता है मेरी बेटी खुशी मिश्रा ने अपनी पहली किताब प्रकाशित करके घर का नाम रोशन किया है। आज तक हमारे यहां डॉक्टर, वकील, अध्यापक रहे लेकिन कवि व साहित्यकार कोई नहीं रहा।
खुशी मिश्रा पहली बार कवयित्री के रूप में सामने आई हैं। यह देश में दूसरे सबसे कम छोटी उम्र की लड़की हैं जिन्होंने अपनी काव्य पुस्तक को प्रकाशित कराया है कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए डॉक्टर लियाकत अली ने किया। कहा कि जब लोग अपनी किताबों को प्रकाशित करते हैं और मैं संचालन करता हूं तो मन खुशियों से भर जाता है।
इस कार्यक्रम के बाद में कवि गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। कार्यों को एक-एक करके उन्हें आगे बढ़ने के लिए उत्साहित करते हुए साहित्यकारों द्वारा आशीष प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम में अतिथियों ने भाग लिया कवियों में गजलकार सुनील कुमार सेठ, हर्षवर्द्धन ममगाई, डा. ज्योतिभूषण मिश्रा, देवेन्द्र पाण्डेय, अभिषेक उपाध्याय, श्रीमती शिब्बी ममगाई, विन्ध्यवासिनी मिश्रा, खलील अहमद राही, आशिक बनारसी, राम कृष्ण मिश्र, जी. एस. पटेल, सिद्धनाथ शर्मा, जिला पुस्तकालय अध्यक्ष कंचन सिंह परिहार, प्रीत श्रीवास्तव, बीना राय, झरना मुखर्जी, अलियार प्रधान, मनोज मिश्र ‘मनु’, अनपढ़ चकियावादी, नवांकुर कवि आयूष सिंह, गोपाल केसरी, रामनरेश पाल, नन्दलाल पाल, आशिक कुमार आशिक आदि शामिल रहे लगभग सैकड़ों कवियों ने अपनी कविताओं के माध्यम से पूरे सभागार को गुंजायमान कर दिया। श्रोताओं ने खूब तालियां बजाईं। धन्यवाद ज्ञापन में लिए फलक नारायण मिश्रा ने कहा कि सभी अतिथियों का वंदन और स्वागत करते हुए धन्यवाद देता हूँ। अतिथियों में नागेंद्र नाथ मिश्रा, छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’, डा. दयाराम विश्वकर्मा व जगजीतन पांडेय, शामिल रहे।