मुद्दा आउट सोर्स कर्मचारियों का, ओ पी एस से कम नहीं, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने भेजा मुख्यमंत्री को पत्र
नियमितीकरण की प्रक्रिया निर्धारित की जाए, 5 साल की सेवा के बाद किया जाए संविदा में प्रमोशन
लखनऊ/ राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने आज मुख्यमंत्री जी के आधिकारिक ईमेल आईडी पर एक ज्ञापन भेजकर प्रदेश में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करने का अनुरोध किया है आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए एक नीति बनाकर उनके समायोजन पर कार्यवाही किया जाना समय की जरूरत है। प्रदेश में लगभग हर विभाग में आउटसोर्सिंग कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, परंतु इनका भविष्य अंधकार में है।
जे एन तिवारी ने आगे कहा है कि आउटसोर्सिंग उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें एक कंपनी अपने किसी आंतरिक कार्य के लिए दूसरी कंपनी के साथ समझौता करके उससे वह काम करवाती है।उत्तर प्रदेश में आउटसोर्स पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लाखों में है। भारत सरकार द्वारा विकसित जेम पोर्टल को उत्तर प्रदेश सरकार ने भी अपनाया है। जेम पोर्टल के माध्यम से कर्मचारियों को आउटसोर्स किया जा रहा है। जैसा कि आउटसोर्सिंग प्रक्रिया की उपरोक्त परिभाषा से ही स्पष्ट है कि एक कंपनी अपने किसी आंतरिक कार्य के लिए दूसरी कंपनी के साथ समझौता करके काम करवाती है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश सरकार एक कंपनी के रूप में कार्य कर रही है? जो बाहरी सेवा प्रदाता कंपनियों के साथ समझौता करके सरकारी कार्यों का संचालन करा रही है? आउट सोर्स पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का कोई भविष्य नहीं है। 2019 में काफी प्रयास करके राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के माध्यम से आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए एक नियमावली बनाए जाने का आदेश हुआ था। उस समय कार्मिक विभाग ने एक आदेश जारी करते हुए सूक्ष्म ,लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग को 40 दिनों के अंदर आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए नियमावली बनाने के लिए कहा था लेकिन आज 4 साल बाद भी आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए कोई नियमावली नहीं बन सकी है। आउटसोर्स कर्मचारी न तो सरकार के कर्मचारी है और नाही किसी सेवा प्रदाता के कर्मचारी हैं, वह केवल एक कंपनी के द्वारा दूसरी कंपनी के लिए आउट सोर्स किए जाते हैं ,जो कार्य करने के लिए आते हैं । कर्मचारियों को हायर करने वाली कंपनी और उनको कार्य पर भेजने वाली कंपनी आउट सोर्स कर्मचारियों को इंसान नहीं समझती है।
संयुक्त परिषद की संयुक्त सचिव अरूणा शुक्ला ने कहा है आउटसोर्स कर्मी किराए पर लिए जाने वाली कोई वस्तु नहीं है। किराए पर कोई ऐसी चीज ली जाती है जिसके अंदर जीवात्मा नहीं होती है। आउटसोर्स पर जिन व्यक्तियों को हायर किया जा रहा है वह कोई रोबोट नहीं है, वह जीते जागते इंसान है और इंसान है, तो इंसान की जरूरतें भी उनके साथ लगी हुई है।
संयुक्त परिषद के माध्यम से समय-समय पर मुख्यमंत्री जी एवं मुख्य सचिव जी को आउटसोर्स कर्मचारियों की पीड़ा से अवगत कराया जाता हैं।
आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए निम्न न्यूनतम सुविधाएं प्रदान किए जाने की मांग संयुक्त परिषद ने किया है–
1. जिस किसी विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी कार्य कर रहे हैं, उनको उस सरकारी विभाग के माध्यम से वेतन का भुगतान किया जाए, नाकि सेवा प्रदाता कंपनी उनके वेतन का भुगतान करें। 2. सेवा प्रदाता कंपनी एक प्लेसमेंट एजेंसी के रूप में कार्य करें, जिसके माध्यम से किसी भी विभाग में सेवा के योग्य निर्धारित अर्हता एवं तकनीकी प्रशिक्षण के उम्मीदवार संदर्भित किए जा सके। चयन की प्रक्रिया सम्बन्धित विभाग निर्धारित करें। 3. आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए सेवा संरक्षण का प्रावधान हो। उनको यह विश्वास दिलाया जाए कि आउट सोर्स पर कार्य करने वाले कर्मचारी भी अन्य कर्मचारियों की भांति ही कर्मचारी के रूप में ही जाने जाएंगे और उनकी आवश्यकताओं का भी सरकार ध्यान रखेगी। 4. आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए निशुल्क चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था हो। 5. 1 साल में 30 दिन का अवकाश एवं 30 दिन की चिकित्सीय सुविधा का प्रावधान किया जाना चाहिए 6.आउटसोर्स पर कार्य करने वाले कर्मचारियों का प्रति वर्ष नवीनीकरण न करके किसी दुरभि संधि अथवा कदाचार में लिप्त ना पाए जाने पर 60 वर्ष तक सेवा में बनाए रखा जाए। 7.5 वर्ष तक आउटसोर्स पर कार्य कर चुके कर्मचारियों को संविदा के आधार पर पदोन्नति दी जाए तथा जिस पद पर वह सेवा कर रहे हैं उस पद पर अनुमन्य वेतन बैंड का मूल वेतन एवं न्यूनतम ग्रेड वेतन महंगाई भत्ते के साथ दिया जाए ।
8.संविदा पर 5 वर्ष संतोषजनक सेवा पूर्ण कर लेने अर्थात कुल 10 वर्ष की सेवा पूरी कर लेने वाले आउटसोर्स कर्मचारियों को विभाग में रिक्त नियमित पदों पर समायोजित कर दिया जाए। इस प्रकार एक सुसंगत नियम के अंतर्गत आउटसोर्स कर्मचारी अपनी सेवा के प्रति असुरक्षा की भावना से मुक्त होकर भविष्य के प्रति भी आश्वस्त हो सकेंगे।
9.सेवा प्रदाता एजेंसियों को सरकार अपने स्तर से कमीशन के रूप में जो भी कमीशन देती है, वह उन्हें अपने सुसंगत नियमों के तहत भले ही प्रदान करती रहे परंतु आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन से संबंधित सारा भुगतान संबंधित विभागों द्वारा ट्रेजरी के माध्यम से कराया जाए।
मुख्यमंत्री जी निश्चित रूप से दूर दृष्टि रखते हैं। आउटसोर्स पर रखे जाने वाले युवा कर्मचारी भविष्य के भारत के निर्माता है। इनके ऊपर भी उनकी दृष्टि जरूर होगी। जे एन तिवारी ने कहा है कि सन्निकट चुनाव से पूर्व आउटसोर्स कर्मचारियों के बारे में रणनीति बनाते हुए उनके वेतन संरक्षण एवं सेवा संरक्षण के संबंध में कुछ कल्याणकारी निर्णय अवश्य होना चाहिए।