मनोज पांडेय
प्रयागराज। देश में आज से तीन नए आपराधिक कानून, भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) 2023 लागू हो गए हैं, जिससे भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आएंगे। इन नए कानूनों ने ब्रिटिश कालीन कानूनों क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। इस अवसर पर प्रयागराज में पुलिस कमिश्नर तरुण गाबा के निर्देशन में जनपद के विभिन्न थानों पर लोगों को जागरूक करने हेतु मीटिंगों का आयोजन किया गया। इसी क्रम में, एसीपी अतरसुइया आईपीएस पुष्कर वर्मा के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी निरीक्षक अमरनाथ राय ने कोतवाली करैली परिसर में एक जागरूकता बैठक आयोजित की। बैठक में एसीपी अतरसुइया आईपीएस पुष्कर वर्मा, थाना करैली के सभी पुलिस कर्मी, क्षेत्र के राजनीतिक दल, सामाजिक संगठन और सम्मानित नागरिक शामिल हुए।
नए कानूनों के तहत 1 जुलाई से सभी नई प्राथमिकी BNS के तहत दर्ज की जाएंगी। हालांकि, पुराने मामलों में पुराने कानून लागू रहेंगे जब तक उनका अंतिम निपटारा नहीं हो जाता। इन कानूनों में आधुनिक न्याय प्रणाली स्थापित करने के उद्देश्य से कई प्रावधान शामिल किए गए हैं जैसे कि ‘जीरो FIR’, पुलिस में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराना, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से समन भेजना और जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी। एसीपी अतरसुइया ने बताया कि इन कानूनों में सामाजिक वास्तविकताओं और अपराधों से निपटने का प्रयास किया गया है और यह औपनिवेशिक काल के न्यायिक कानूनों का खात्मा करते हैं। नए कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर विशेष ध्यान देते हुए, नए कानून में किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान किया गया है। नये कानून न्याय, पारदर्शिता और निष्पक्षता पर आधारित हैं, और अब कोई भी व्यक्ति पुलिस थाना गए बिना इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम से घटनाओं की रिपोर्ट दर्ज करा सकता है।