राजस्थान की धरती धर्म, कर्म, भक्ति और शक्ति के एक समन्वय का केंद्र बिंदु- योगी आदित्यनाथ

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मुख्यमंत्री जी राजस्थान के जालौर स्थित श्री नीलकण्ठ महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार एवं मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सम्मिलित हुए, 1400 वर्ष पूर्व नागभट्ट द्वारा स्थापित भगवान नीलकण्ठ का यह पवित्र स्थल हम सबको अभिभूत करता है

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज राजस्थान के जिला जालौर स्थित श्री नीलकण्ठ महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार एवं मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस धार्मिक आयोजन में जिस प्रकार जाति, मजहब और धर्म के भेदभाव को छोड़कर सबकी एकता देखने को मिल रही है, इसे हमें अपने दैनिक जीवन में भी स्वीकार करना होगा। हमारा सनातन धर्म ही भारत का राष्ट्रीय धर्म है। हम सब अपने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर अपने राष्ट्रीय धर्म से जुड़ें, ताकि हमारा देश सुरक्षित हो, हमारे मानबिन्दुओं की पुनस्र्थापना हो और गो-ब्राह्मण की रक्षा हो। आप सबका धर्म के प्रति यही उत्साह हमें पूरी मजबूती के साथ धर्म के पथ पर चलते हुए अपने कार्यों के निर्वहन की एक नई प्रेरणा प्रदान करता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर किसी कालखण्ड में हमारे धर्मस्थलों को अपवित्र किया गया है, तो उनकी पुनस्र्थापना का अभियान चले। इस अभियान के क्रम में अयोध्या में पांच सौ वर्षों के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयास से भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण में आप सभी श्रद्धालुओं ने अपना योगदान दिया। आज देश की भावनाओं के अनुरूप भारत का राष्ट्रीय मंदिर भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के रूप में स्थापित हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1400 वर्ष पूर्व नागभट्ट द्वारा स्थापित भगवान नीलकण्ठ का यह पवित्र स्थल हम सबको अभिभूत करता है। उन्हंे अभी महाकवि नागभट्ट की प्रतिमा पर माल्यार्पण का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। विगत 15 वर्ष पूर्व रावमुक्त सिंह ने जिस संकल्प को लिया था, आज वह भव्य मंदिर के रूप पूरा हुआ है। इस भव्य मंदिर में राजस्थानवासियों समेत पूरे देश के श्रद्धालुओं को भगवान नीलकण्ठ के इस पवित्र शिवालय के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा। वहीं अगले एक वर्ष में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर तैयार हो जाएगा। उससे पहले उन्हें राजस्थान के इस भव्य मंदिर के पुनरोद्धार का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। अब इस मंदिर की भव्यता को बनाए रखने की जिम्मेदारी आप सबकी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान की धरती धर्म, कर्म, भक्ति और शक्ति के एक समन्वय का केंद्र बिंदु है। धर्म के वास्तविक मर्मों को समझना है तो राजस्थान आना जरूरी है। अपने शौर्य, पराक्रम के लिए राजस्थान ने देश और दुनिया के अंदर एक नई पहचान बनाई, तो भक्ति के केंद्र के रूप में योगियों, संतों और ऋषि-मुनियों ने भी अपनी साधना के लिए इस भूमि को चुना। धर्म के प्रति यही समर्पण हमारी पहचान है क्योंकि धर्म का ऋण हमारे ऊपर हमेशा रहता है। हर व्यक्ति इसी ऋण को चुकाने के लिए अनेक प्रयत्न करता है। अयोध्या में भगवान श्रीराम का जो भव्य मंदिर बन रहा है उसका प्राचीन स्वरूप यहां देखने को मिला। मुख्यमंत्री जी ने जय-जय श्रीराम के साथ अपना सम्बोधन सम्पन्न किया। इस दौरान मुख्यमंत्री जी और केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने रुद्राक्ष का पौधरोपण भी किया।
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