जी हाँ, यह बिल्कुल सत्य है कि गंगा नदी के किनारे स्थित काशी में पानी की समस्या गंभीर है। हर साल जलस्तर लगभग 1 मीटर तक नीचे जा रहा है। इससे पानी के स्रोतों में कमी हो रही है और प्राकृतिक परिस्थितियों में बदलाव आ रहा है।
इस समस्या का समाधान तत्कालीन और सामग्रीक उपायों के साथ किया जा सकता है। पहले से ही कई पहलुओं पर काम हो रहा है, जैसे कि जल प्रदूषण को कम करने के लिए नई और सक्रिय उपकरणों का उपयोग करना। साथ ही, जल संचयन और जल विपणन की तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है।
वाराणसी शहर के कई नलकूप और हैंडपंप पानी छोड़ चुके हैं। इसका अंदाजा भेलूपुर के मालती बाग और बेनियाबाग में लगे नलकूपों को देखकर लगाया जा सकता है। जो पूरी तरह फेल हो चुके हैं। सन 2000 में बनारस में 10 से 12 मीटर की रेंज में बोरिंग करने पर पानी मिलने लगता था। अब यहां औसतन 20 से 23.90 मीटर की रेंज में बोरिंग करने पर पानी मिल रहा है।पहले कम आबादी के चलते भूजल स्तर कम नीचे जाता था। अब आबादी 40 लाख के ऊपर हो चुकी है। ऐसी स्थिति में हर साल 80 सेमी से एक मीटर के रेंज में जलस्तर नीचे जा रहा है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में काशी की भी हालत केपटाउन जैसी हो जाएगी। यहां के लोग लोग बूंद-बूंद के लिए तरसेंगे।जलदोहन के चलते भूगर्भ जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है।
समाधान
इन समस्याओं का समाधान करने के लिए कठिन कदम उठाने की आवश्यकता है। सरकार को जल संरक्षण के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए और साथ ही जल संचयन की प्रोत्साहना करनी चाहिए। नलकूपों और हैंडपंप का प्रभावी उपयोग करके जल संचयन की अधिक संभावनाएं हैं। साथ ही, जल संचयन के लिए नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करना चाहिए।
जल संरक्षण के लिए जनसामान्य को शिक्षित करना भी महत्वपूर्ण है। लोगों को जल के बचाव के लिए संवेदनशील बनाना चाहिए और उन्हें जल संरक्षण की महत्वता को समझाया जाना चाहिए।
इसके अलावा, जल संरक्षण के लिए संगठनात्मक कदम भी उठाने चाहिए। लोगों को साझा जल संचयन सुविधाएं और जल संरक्षण के लिए समूहों में आयोजन किए जा सकते हैं।
अधिकतम परिणाम प्राप्त करने के लिए, सरकार, स्थानीय प्रशासन, और नागरिकों को मिलकर काम करना होगा। जल संरक्षण में सफलता प्राप्त करने के लिए सभी का सहयोग और सहभागिता आवश्यक है।
विकास अधिकारी का कहना
जल संरक्षण के लिए विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कदम उठाए जा रहे हैं। मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल द्वारा इस विषय में की गई बातों में से कुछ महत्वपूर्ण हैं। मनरेगा के माध्यम से पोखरों और तालाबों की खोदाई कराना जल संचयन और जल संरक्षण के लिए एक प्रमुख कदम है। इसके साथ ही, सरकारी भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का लागू किया जाना एक और प्रभावी उपाय है। यह सुनिश्चित करेगा कि वर्षा जल का उपयोग सही ढंग से किया जाता है और जल संग्रहण का सुधार होता है। इस प्रकार, जल संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी योजनाओं के माध्यम से निरंतर प्रयास किया जा रहा है।
शहर और ब्लॉक का जल स्तर मीटर में
स्थान | मानसून पूर्व | मानसून बाद |
कचहरी | 18.20 | 17.15 |
सारनाथ | 16.90 | 15.86 |
गोदौलिया | 19.01 | 18.19 |
लंका | 18.17 | 17.80 |
आराजीलाइन ब्लॉक | 16.42 | 11.79 |
बड़ागांव ब्लॉक | 12.25 | 09.06 |
चिरईगांव ब्लॉक | 15 .28 | 09.45 |
चोलापुर ब्लॉक | 10.00 | 07.00 |
हरहुआ ब्लॉक | 16.97 | 14.80 |
काशी विद्यापीठ ब्लॉक | 2.82 | 07.79 |
पिंडरा ब्लॉक | 16.49 | 14.29 |
सेवापुरी ब्लॉक | 14.11 | 08.23 |