जिलाधिकारी बैठक: भूमि पर कब्जाधारकों को कब मिलेगा न्याय?

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जिलाधिकारी बैठक भूमि पर कहासुनी को लेकर के कई साल से जो कब्जा किए हुए जमीन है और सरकारी जितने भी अधिकारी हैं उनके बीच में बहुत ही संघर्ष चल रहा है लेकिन कई बार uttarakhand bhulekh से सम्बंधित ऐसे मामले देखने को मिलते हैं जहां पर की कई साल से जमीन पर कब्जा किया हुआ है लेकिन लोग आज भी अपने मालिक खाना हक के लिए संघर्ष किया जा रहे हैं। आप अपनी भूमि से सम्बंधित जानकारी के लिए Bhulekh Uttarakhand App को डाउनलोड कर इसका उपयोग कर सकते हैं।

इस बीच उप समिति की जो बैठक है उसमें जिलाधिकारी की सस्ती और मामलों में जो भी बड़े होने पर बार-बार नाराजगी जताई जाती है जो कब्जा धारक है उनको न्याय कब मिलेगा यह सवाल आज भी है और सरकारी प्रक्रिया में बीमा होने के वजह से ऐसे कई लोगों जिसमें की असंतोष और भी ज्यादा बढ़ गया है।

अधिकारी बैठकों में भूमि पर कहासुनी को लेकर के समाधान करने की कोशिश की जा रही है लेकिन पेपर्स की कार्यवाही और जो अदालत की प्रक्रिया है उसके चलते जो मामला है वह सुलझाने में ही लेट हो जा रहा है। आप में से जो भी कब्जा धारक है उम्मीद लगा करके बैठे हैं कि आपको जल्दी से अपना अधिकार मिलेगा लेकिन प्रशासनिक सस्ती और अलग-अलग प्रक्रिया के कठिनाइयों की वजह से यह जो मामला है लगातार ही रूकता जा रहा है बीच-बीच में सवाल यह है कि क्या इन सभी बैठकों में कोई ठोस फल निकल पाएगा या फिर कब्जा धारा को और भी ज्यादा समय तक इंतजार करना पड़ेगा।

सरकार की पहल और जिलाधिकारियों की उदासीनता

प्रदेश के वर्ग 3 और वर्ग 4 की जो भूमि है उसे पर कब्जा जमाए हुए हजारों परिवार है जिनको की मालिकाना हक देने की प्रक्रिया बहुत समय से रुकी हुई है इन सब मामलों पर सरकार के जरिए से जो गठित मंत्रिमंडल उपसमिति लगातार प्रयास कर रहे हैं लेकिन जिलाधिकारी की ओर से रिपोर्ट मिलने में देरी होना है इस वजह से काम आगे बढ़ ही नहीं पा रहा है।

बृहस्पतिवार को कैबिनेट मंत्री जो है सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में उप समिति की जो तीसरी बैठक हुई थी जिसमें की तीन जिला है उसमें जिला अधिकारियों की रिपोर्ट मिल गई है जबकि 10 जिले में अभी तक इस संबंध में कोई भी रिपोर्ट नहीं सोपा गया है जिस पर की मंत्रिमंडल उपसमिति ने कड़ी से कड़ी नाराजगी को जाहिर किया है कार्य को जल्दी से जल्दी अपनी रिपोर्ट को जवान करना होगा क्योंकि आदेश दिया गया है ताकि यह सब जो मामले हैं आगे की कारवाही की जा सके।

वर्ग तीन और वर्ग चार की भूमि पर परिवारों का अधिकार

उत्तराखंड के सरकार ने कुछ साल पहले बहुत बड़ी संख्या में आप लोग को जमीन का पट्टा भी दिया था जिस पर कि आप लोग बहुत समय से कब्जा करके बैठे थे यह जो भूमि वर्ग तीन है और वर्ग 4 की श्रेणी में आता है तो वर्ग 3 की जो भी भूमि है वह सरकार ने आप लोगों को पट्टा के रूप में दे दिया था जबकि वर्ग 4 जो है वह भूमि सरकारी जमीन है जिस पर कि आप लोग कई साल से बिना किसी भी अधिकारी फाइल के ही कब्जा करके बैठे हैं और खाता खतौनी में भी आपका नाम दर्ज हो चुका है।

इसके अलावा भी उत्तर प्रदेश में सरकारी और अन्य प्रकार की जमीन है उसे पर भी ऐसे ही कर लोग गलत तरीके से कब्जा जमा कर बैठे हुए हैं इस पूरी प्रक्रिया को नियमित रूप से लॉयर में लाने के लिए आपकी सरकार ने खास मंत्रिमंडल उपसमिति का गठन भी किया है ताकि कई साल से जो भी कब्जा किए हुए परिवार है तो उनके जो कब्जे हैं भूमि पर मलिकाना हक दिया जा सके।

नियमितीकरण के लिए समय सीमा का विस्तार

प्रदेश के पहले ही अलग-अलग श्रेणी की जो भी जमीन है उसकी नियमित रूप से करने के लिए सरकार ने समय-समय पर फैसला आने वाले समय में या जब प्रक्रिया है पूरा हो चुका है लेकिन जो नई सरकार है उन्होंने आने के बाद अब इस अवधि को फिर से बढ़ाने के लिए सोच रहे हैं।

वन के मंत्री सुबोध ने बताया है कि पहले की जो सरकार थी उसके जरिए से भूमि के नियमित रूप से जो निर्णय लिया गया था वह समय सीमा खत्म हो चुका है इसको बढ़ाने के लिए जो जिला अधिकारी हैं उस रिपोर्ट मांगा जाए जिलाधिकारी के जरिए से जो दिया गया रिपोर्ट था उसके आधार पर ही कैबिनेट में भी इस मामले को फिर से सामने लाया जाएगा ताकि भविष्य में जितने भी रणनीति है उसको तैयार किया जा सके।

समिति की भूमिका और सरकार का उद्देश्य

समिति का जो पहला उद्देश्य है यह है कि जो कई साल से कब्जा किए हुए परिवार है जो उनकी जमीन है उसे पर सही तरीके से अधिकार दिलाया जाएगा ताकि आप बिना किसी भी चिंता के अपने परिवार के साथ जीवन बिता सकेंगे जो भूमि है उसका सही तरीके से इस्तेमाल भी कर सकेंगे समिति तभी कोई ठोस फैसला ले सकेंगे जब सभी अधिकारियों से इससे जुड़े जानकारी है प्राप्त हो जाएगी।

मंत्री ने यह अभी कहा है कि सरकार की जो मनसा है वह साफ-साफ है आप लोग की जो भूमि है आप लोग का हक दिल करके आप लोग को राहत पहुंचाना है सरकार यह भी चाहती है की भूमि के नियमित रूप से प्रक्रिया को सही तरीके से किया जाए और इस पर अमल भी पाया जाए ताकि जो भी कब्जा किए हुए लोग हैं जमीन पर उनके अधिकार को दिया जा सके इससे क्या है कि उपसमिति के जरिए से हर एक जिले के जिला अधिकारियों से रिपोर्ट भी मांगा गया है जिनमें से अब तक कुछ ही जिला है जहां से की रिपोर्ट आया है।

जिलाधिकारियों की सुस्ती पर नाराजगी

तीसरी बैठक में मंत्रिमंडल उपसमिति ने जिलाधिकारी की ओर से जो रिपोर्ट आया है उसे पर कड़ी नाराजगी जाहिर किया गया है बृहस्पतिवार को जो हुआ था बैठक उसमें यह बताया गया है कि केवल तीन ही जिला से रिपोर्ट मिला है जबकि बाकी जो 10 जिले हैं उनके जिला अधिकारियों ने अभी तक कोई भी जानकारी नहीं भेजा है।

मंत्री ने यह भी कहा है कि जनवरी में एक बार फिर से जिला अधिकारियों के साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए से बैठक को किया जाएगा इस बैठक में सभी जिला अधिकारी को रिपोर्ट सामने के लिए आखिरी आदेश भी दिया जाएगा ताकि जो समिति है वह आगे की कारवाही को शुरू कर सके।

त्यूनी परगना का मामला

खास रूप से तुनी परगना के मामले में जहां की वर्ग 4 की जो भी जमीन है उसे पर आप लोग के मालिक आना हक के लिए पहले ही एकत में संशोधन किया गया है वहां की जमीन के नियमित रूप से समय सीमा 11 फरवरी 2022 को ही समाप्त हो चुका है अब इस समय सीमा को फिर से आगे बढ़ाने के लिए जो मंत्रिमंडल है उपसमिति सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपने वाले हैं।

यह भी जरूरी है क्योंकि समय सीमा खत्म होने के बाद भी बहुत बड़ी संख्या में आप लोग इन सभी जमीन पर कब्जा किए हैं और आपके पास अभी भी जमीन के मालिकाना का कोई भी सही फाइल नहीं है ऐसी स्थिति में समय सीमा को बढ़ाना ही जरूरी होगा ताकि इन सभी परिवारों को राहत मिल सके।

भविष्य की योजनाएँ

सरकार किया जो मनसा है साफ-साफ है की भूमि पर कई साल से जो भी कब्जा किए हुए लोग हैं उनके कब्जे की जमीन पर कानूनी अधिकार मिल सके इसके लिए हर एक संभव प्रयास भी किया जा रहा है उप समिति के जो अध्यक्ष है सुबोध उनियाल ने भी अब बताया है कि सरकार की ओर से इस मामले को जल्दी से जल्दी सुलझाने की कोशिश भी की जाएगी ताकि आप लोग जो भी सालों से जमीन पर कब्जा किया है आपको हक से वंचित न रहना पड़े।

उपसमिति की ओर से भी जिलाधिकारी को साफ-साफ आदेश दे दिया गया है कि वह भी जल्दी से जल्दी अपनी रिपोर्ट को सामने लाएं ताकि समिति इसे कैबिनेट के समक्ष पेश कर सके और आगे की जो रणनीति है उसको भी तय कर सके।

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