CBSE ने नए सत्र से सभी स्कूलों को कक्षा 6 में एक फॉरेन लैंग्वेज और 2 भारतीय भाषाओं की कक्षाएं अनिवार्य कर दी हैं। जर्मन, फ्रेंच और अंग्रेजी में से कोई एक विदेशी भाषा और 2 भारतीय भाषाओं की कक्षा चलाने को कहा गया है। लेकिन, विदेशी और अन्य भारतीय भाषाओं के शिक्षकों की भारी कमी इस व्यवस्था के आड़े आ रही है।
विदेशी और भारतीय भाषाओं के पर्याप्त शिक्षक न हो पाने के कारण ज्यादातर CBSE स्कूलों में विदेशी भाषा के नाम पर सिर्फ अंग्रेजी और भारतीय के नाम पर हिंदी और संस्कृत विषय ही पढ़ाया जा रहा हैं।
वाराणसी के CBSE स्कूलों में विदेशी भाषाओं के सिर्फ 15-20 शिक्षक ही हैं। जबकि कक्षा एक से 10वीं और 12वीं तक के पंजीकृत CBSE स्कूलों की संख्या 168 है। इसके अलावा कक्षा एक से 8 वीं के तक CBSE स्कूलों की भरमार है। स्कूलों और उनमें पढ़ने वाले 6 वीं के बच्चों की संख्या के मुकाबले शिक्षकों की तादाद बेहद कम है।
अधिकारी का कहना
जिन स्कूलों में पहले से फ्रेंच और जर्मन भाषाओं की कक्षाएं चल रहीं हैं, उन्होंने शिक्षकों की ही व्यवस्था कर रखी है। अन्य स्कूल विदेशी भाषा के रूप में अंग्रेजी और हिंदी भाषा के रूप में हिंदी और संस्कृत पढ़ा रहे हैं। ऐसे में कक्षा 6 में एक फॉरेन और 2 भारतीय भाषाओं को अनिवार्य रूप से पढ़ाने के CBSE के मानक पूरे करने में बाधा नहीं आएगी। – गुरदीप कौर, सिटी को-ऑर्डिनेटर, सीबीएसई