भारत के नव निर्माण में जगद्गुरु रामभद्राचार्य की अनूठी भूमिका- प्रो. शिशिर 

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दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ 

(चित्रकूट से प्रदीप सारंग) 

चित्रकूट। श्री राम सापेक्ष राष्ट्र निर्माण में स्वामी रामभद्राचार्य जी की कृतियां एवं उनके वाचिक परंपरा तथा लेखन परंपरा का उत्कृष्ट योगदान है।  वर्तमान युग के प्रख्यात मनीषी के रूप में राष्ट्र निर्माण में श्री रामचन्द्रजी के जीवन मूल्यों के संदर्भ मेंश्री रामभद्राचार्य जी का अभिनव योगदान है। श्री राम चंद्र जी के जीवन मूल्यों से ओतप्रोत विचार आज के समय में न केवल प्रासंगिक हैं बल्कि नए भारत के निर्माण में अनूठी भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।

 उक्त विचार प्रोफेसर शिशिर पाण्डेय कुलपति जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट ने विश्वविद्यालय के अष्टावक्र सभागार में स्थापना दिवस समारोह का शुभारम्भ करते हुए व्यक्त किये। 

         जगद्गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय चित्रकूट के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में  “श्री राम सापेक्ष राष्ट्र निर्माण में स्वामी रामभद्राचार्य जी का अवदान” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ के सहयोग से किया गया। इसका उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो शिशिर कुमार पांडेय जी के द्वारा किया गया। उद्घाटन सत्र का प्रारंभ संगीत विभाग की सहायक आचार्या डॉ ज्योति विश्वकर्मा की सरस्वती वंदना से हुआ।

        उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व राज्य मंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय एवं पूर्व सांसद भैरों प्रसाद मिश्र , विश्वविद्यालय की  कुलाधिपति के निजी सचिव श्री रमापति मिश्रा तथा कुलसचिव मधुरेंद्र कुमार पर्वत भी उपस्थित थे‌‌। अतिथियों के स्वागत के पश्चात स्वागत उद्बोधन  हिंदी विभाग की विभागाध्यक्षा डॉ किरण त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया। उत्तर  प्रदेश हिंदी संस्थान की डॉ अमिता दुबे ने हिंदी संस्थान के प्रमुख उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हिंदी संस्थान न केवल हिंदी भाषा बल्कि अन्य भाषाओं को साथ लेकर भारतीय संस्कृति के संवाहक के रूप में कार्य कर रही है। इस संस्थान के द्वारा पुरस्कारों के अतिरिक्त विभिन्न भाषाओं की उन्नति के लिए भी सतत रूप से प्रयास किए जाते हैं। विषय का विस्तृत परिचय देते हुए अधिष्ठाता डॉ महेंद्र कुमार उपाध्याय ने राष्ट्र निर्माण में स्वामी रामभद्राचार्य जी के योगदान को विस्तार से वर्णित किया। उद्घाटन सत्र का संचालन डॉ प्रमिला मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन संगीत विभाग के ्सहायक आचार्य डॉ गोपाल कुमार मिश्र के द्वारा किया गया।

   इसके पश्चात संगोष्ठी के प्रथम तकनीकी सत्र का प्रारंभ डॉ सभापति मिश्र की अध्यक्षता में किया गया ।इस सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ तरुण कुमार मिश्र तथा डॉ सत्या सिंह उपस्थित रहीं। इस तकनीकी सत्र में डॉ किरण त्रिपाठी, डॉ विश्वेश दुबे ,डॉ राम बहादुर मिश्र, डॉ संजय कुमार मिश्र डॉ रजनीश कुमार सिंह ने अपने शोध परक आलेखों को प्रस्तुत किया। इस सत्र का संचालन शिक्षा संकाय की सहायक आचार्या डॉक्टर रीना पांडेय ने किया। संगोष्ठी में अधिष्ठाता डॉ निहाल रंजन मिश्र, डॉ गुलाब धर, डॉ विनोद कुमार मिश्र, डॉ अमित अग्निहोत्री, अवधी साहित्यकार प्रदीप सारंग, दुर्गेश पाठक सहित विश्वविद्यालय परिवार के समस्त सदस्य उपस्थित रहे। डॉ विनोद कुमार मिश्र अध्यक्ष समाज शास्त्र विभाग ने सभी का स्वागत किया। प्रथम दिवस की शाम को सांस्कृतिक संध्या अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान, लखनऊ के सहयोग से कृष्ण पाल द्वारा बांदा जिले का प्रसिद्ध दिवारी नृत्य पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव का कजरी गायन सुश्री उषा गुप्ता का कजरी गायन एवं सुश्री कृति श्रीवास्तव प्रयागराज के द्वारा ढेड़िया लोक नृत्य अत्यंत सराहनीय रहा। दूसरे दिवस समापन संध्या में कवि सम्मलेन आयोज्य है। 

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की प्रधान सम्पादक डॉ अमिता दुबे सहित अवधी साहित्यकार डॉ राम बहादुर मिश्र, पूर्व पुलिस अधिकारी साहित्यकार डॉ सत्या सिंह, अवध भारती संस्थान के सचिव प्रदीप सारंग, फ़िल्म सोसायटी के चेयर मैन दुर्गेश पाठक उपस्थित रहे।

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