सोनभद्र, सिंगरौली/ एनटीपीसी-विंध्याचल के उमंग भवन सभागार में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं एन टी पी सी, विंध्याचल के सहयोग से राजभाषा पखवाड़ा, 2023 के अवसर पर ख्यातिलब्ध रंग संस्था समूहन कला संस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय समूहन नाट्य समारोह का समापन किया गया।
यह नाटक आधारित है एक मध्यवर्गीय परिवार की परिस्थितियों पर, जिसमें एक पिता अपने बच्चे डब्बू का एडमिशन एक प्राइवेट स्कूल में कराने के लिए संघर्ष करता है। नाटक की शुरूआत होती है एक स्कूल से जहाँ लोग एडमिशन फार्म लेने के लिए इकठ्ठा हुए हैं। कुछ लोग तो रात के तीन बजे से खड़े हैं, उसके बावजूद उनको फाॅर्म नहीं मिल पाता है। डब्बू के पिता किसी तरह ब्लैक में फाॅर्म ले लेने में सफल हो जाते हैं, फिर जब उनको पता चलता है कि बच्चे के इण्टरव्यू के साथ-साथ उनके माता-पिता का भी इण्टरव्यू होगा वह भी इंगलिश में। अब वह अपनी पत्नी को अंग्रेजी सिखाने का बहुत प्रयास करते हैं। इस सब के बावजूद बच्चे का किसी भी स्कूल की लिस्ट में नाम नहीं आ पाता है। निराश हो चुके डब्बू के पिता को उसके दोस्त समझाते हैं कि किसी बड़े व्यक्ति के सिफारिश से ेकाम बन सकता है तो वे अपने पहचान के एक व्यक्ति के माध्यम से डीएम का सिफारिशी पत्र लिखवा लाते हैं, मगर तब भी बात नहीं बन पाती है। स्कूल के फादर से बात करने पर पता चलता है कि एक डोनेशन वाली सीट है, जिसके लिए स्कूल को एसी डोनेट करना पड़ेगा। मामला पत्नी के जेवर और गाँव की जमीन बेचने तक पहँुच जाती है।
इन्हीं संघर्षो में थके हारे डब्बू के पिता की भेंट अपने बचपन के दोस्त से होती है जो बचपन से ही बदमाशी और गुंडागर्दी किया करता था और अब वो विधायक बन चुका है, वो उनके बच्चे का एडमिशनफ्री में करवा देता है और विधायक जी के डर से बच्चे की फीस भी माफ हो जाती है। कामतानाथ जी की मूल कहानी ‘होना हल एक कठिन समस्या का’ पर आधारित यह नाटक समाज की शिक्षा व्यवस्था पर एक करारा व्यंग्य है जिसे उकरेने में रोज़़ी मिश्रा का निर्देशन और कलाकारो का अभिनय सराहनीय रहा। संदीप कुमार ‘देव’, अहाना श्रीवास्तव, अभय प्रताप मि़त्रा, अक्षय दीक्षित, अभय सिंह, अविनाश सिंह, आद्यामिश्रा आदि ने अपनी भूमिकाओ के साथ न्याय किया। अजय कुमार, सुनील कुमार, राहुल मौर्या, हिमेश, वैभव बिन्दुसार और राजन कुमार झा ने भी दृश्य स्थापित करने में अभिनय का सराहनीय योगदान दिया। सरदार दोस्त की भूमिका में अभय सिंह एवं ताऊ की भूमिका में अविनाश सिंह ने दर्शकों के लिए हास्य की अच्छी स्थिति उत्पन्न की। संगीत प्रभाव और पाश्र्व मंच की भागीदारी ने भी नाटक को गति प्रदान की। वर्तमान व्यवस्था पर हास्य व्यंग्य से भरा यह नाट्य संध्या सुखद और विचारणीय रहा। समारोह के समापन पर संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं एनटीपीसी, विंध्याचल के समस्त पदाधिकारीयोंसहयोगियों, प्रेस एवं मीडिया तथा दर्शक दीर्घा के प्रति आभार ज्ञापन समूहन कला संस्थान के निदेशक राजकुमार शाह ने किया।
समूहननाट्य समारोह के अन्तर्गतसम्पन्न हुई एम्बियांस प्रस्तुतियां
उमंग भवन में चल रहे तीन दिवसीय समूहननाट्य समारोह में एम्बियांस प्रस्तुतियों के रूप में संगीतमय प्रस्तुतियां भी सम्पन्न हुई। महक माटी की प्रस्तुति में कुमार अभिषेक ने भजन ‘तेरी बीती उमरिया रे’, बनारसी झूला ‘सिया संग झूमे बगिया मे राम ललना’ आदि कई गीत प्रस्तुत करके दर्शकों को आनंदित किया। वैभव बिंदुसार ने ‘कुछ गीत-कुछ गज़ल’ के अन्तर्गत रफ्ता रफ्ता आप मेरे, मंगल गाओ चैकपुराओ के गायन से श्रोताओं को हर्षित किया। रितिका सिंह ने पिया तोसे नैना लागे रे , भोर भई पनघट पे तथा आपकी नजरों ने समझा आदि गाकर तालियां बटोरी। साथी कलाकार के रूप में गौरव शर्मा तबला तथा ढोलक पर, अभिषेक सिंह बांसुरी पर तथा रिम्पी वर्मा ने हारमोनियम पर संगत किया। एम्बियांस प्रस्तुतियों पर दर्शकगण भी झूम झूम कर साथ देते रहे और तालियां गुंजती रही।