मनोज पांडेय
प्रयागराज। मिर्जापुर छानबे ब्लाक के खम्हरियां दमुआन मे चल रहे सत् चण्डी महायज्ञ एवम् संगीत मय श्री मद्भागवत कथा के छठवें दिन की कथा में रोहिणी विवाह का प्रसंग उठा, कथा श्रवण करने पहुंची महिलाओ ने पावपूज्जी में आभूषण, वस्त्र, वर्तन, द्रव्य दान आदि करने की होड़-सी लगी थी। कथावाचक परिक्षित जी महराज ने कहाकि भगवान कृष्ण की सातवीं पत्नी रोहिणी थीं। पौराणिक कथाओं में इनका कई बार नाम भद्रा और कैकयी भी पाया गया है। रोहिणी ऋतुसुकृत की पुत्री थीं।
रोहिणी ने स्वयं ही स्वयंवर के दौरान श्रीकृष्ण को अपना पति चुना था। भगवान कृष्ण की 1600 रानियां और 8 पटरानियां थीं। बताया कि पौराणिक कथाओ के अनुसार, 1600 राजकन्याएं नरकासुर की जेल में बंद थीं। जब श्रीकृष्ण ने इन्हें मुक्त कराया, तो समाज में कोई भी इन्हें अपनाने को तैयार नहीं था। ऐसे में कृष्णजी ने इन सभी को समाज में सम्मान दिलाने के लिए अपनी रानी बना लिया। कथा श्रवण के उपरांत माताओ बहनो ने विवाह के दौरान माता रोहिणी के विवाह मे पावपूज्जी मे शामिल होकर मुक्तहस्त अर्पण किया। इस दौरान जय श्री राधे जय श्री कृष्ण का उद्घोष होता रहा।