गौमूत्र से बने जैविक कीटनाशक की बढ़ रही है लगातार मांग

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छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जो पशुपालक, ग्रामीणों से दो रुपए किलो में गोबर खरीदी करने के बाद अब 4 रुपए लीटर में गौमूत्र की खरीदी कर रहा है। गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी की सफलता ही गौमूत्र खरीदी का आधार बनी है। गौमूत्र से कीट नियंत्रक उत्पाद, जीवामृत, ग्रोथ प्रमोटर बनाए जा रहे है। इसके पीछे मकसद यह भी है कि खाद्यान्न उत्पादन की विषाक्तता को कम करने के साथ ही खेती की लागत को भी कम किया जा सके। खेती में अंधाधुंध रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों के उपयोग से खाद्य पदार्थों की पौष्टिकता खत्म हो रही है भूमि की उर्वरा शक्ति घट रही है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गौमूत्र कीटनाशक, रासायनिक कीटनाशक का बेहतर और सस्ता विकल्प है। इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता, रासायनिक कीटनाशक से कई गुना अधिक होती है। खेतों में इसके छिड़काव से कीटों के नियंत्रण में मदद मिलती है। पत्ती खाने वाले, फलछेदन एवं तनाछेदक कीटों के प्रति गौमूत्र कीटनाशक का उपयोग ज्यादा प्रभावकारी है।

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