निराश्रित गोवंश संरक्षण का कार्य प्राथमिकता के आधार पर निरन्तर किया जाए- धर्मपाल सिंह

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कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम में तेजी लाने के सख्त निर्देश, प्रदेश सरकार द्वारा अब तक 1506482 गोवंश का संरक्षण किया गया

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम की धीमी गति पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए नस्ल सुधार योजनाओं में तेजी लाने के सख्त निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में देशी नस्ल सुधार, दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी करने और किसानों एवं पशुपालकों की आय में वृद्धि करने के लक्ष्य की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इस कार्य में लापरवाही एवं उदासीनता न बरती जाए और कृत्रिम गर्भाधान के लक्ष्यों को शीघ्र पूरा किया जाए।

पशुधन मंत्री ने आज यहां विधानभवन स्थित अपने कार्यालय कक्ष में निराश्रित गोवंश, नस्ल सुधार, ईयर टैगिंग एवं आगामी वित्तीय वर्ष में प्रस्तावित योजनाओं/निर्माण कार्यों के संबंध में समीक्षा बैठक करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। श्री सिंह ने कहा कि निराश्रित गोवंश संरक्षण का कार्य प्राथमिकता के आधार पर निरन्तर किया जाए और गो आश्रय स्थलों पर चारा, भूसा, पेयजल एवं औषधियों आदि की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। प्रदेश सरकार द्वारा अब तक 1506482 गोवंश का संरक्षण किया गया है। वर्तमान में 6492 अस्थाई गोआश्रय स्थल, 297 वृहद गोसंरक्षण केन्द्र, 273 कान्हा गोआश्रय स्थल तथा 307 काजी हाउस हैं।

श्री सिंह ने निर्देश दिये कि ईयर टैगिंग के कार्य को भी सुनियोजित रूप से संचालित किया जाए और संक्रामक रोगों एवं पशुओं के उपचार के दृष्टिगत दवाईयों एवं वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। उन्हांने कहा कि आगामी लक्ष्यों को 03 माह, 06 माह एवं 09 माह की समयावधि के तहत कार्ययोजना बनाकर पूरा किया जाए। निर्माणाधीन गोआश्रय स्थलों, पशु चिकित्सालयों एवं अन्य निर्माण कार्यों को गुणवत्तापूर्ण ढंग से निर्धारित अवधि के अंदर पूर्ण कराया जाए और समयबद्ध रूप से फाइलों का निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। बैठक में विशेष सचिव पशुधन देवेन्द्र पाण्डेय, विशेष सचिव दुग्ध राम सहाय यादव, पीसीडीएफ के प्रबंध निदेशक आनन्द कुमार, पशुपालन विभाग के निदेशक, प्रशासन एवं विकास डा0 रघुनाथ सिंह, निदेशक रोग नियंत्रण एवं प्रक्षेत्र डा0 पी0एन0 सिंह, एलडीबी के कार्यकारी अधिकारी डा0 नीरज गुप्ता, अपर निदेशक गोधन डा0 जे0के0 पाण्डेय तथा अपर निदेशक डा0 ए0के0 वर्मा सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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