गंगा का पानी खेती किसानी को चौपट करते हुए रिहायशी इलाकों को आगोश में लेना किया शुरू

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चहनियां। गंगा के जलस्तर में आया उफान अपने पूरे वेग से अपने किनारों को छोड़कर खेतों को डुबोते हुए अब रिहायशी इलाकों को भी अपने आगोश में लेना शुरू कर दिया है। बीते शुक्रवार की रात में गंगा का जलस्तर करीब डेढ़ फीट बढ़ गया है । गंगा का पानी धीरे धीरे बलुआ बाजार व टाण्डाकला बाजार की तरफ बढ़ने लगा है । गंगा के रौद्र रूप को देखकर तटवर्ती गांव के ग्रामीण 1978 व 2016 में आयी बाढ की विभीषिका को याद कर भय के साये में जी रहे है ।  गंगा का रौद्र रूप अब और भयावह होने लगा है। बलुआ स्थित गंगा घाट पर बने शवदाह गृह सहित सभी स्थल पूरी तरह डूब चुके है। टांडाकला घाट पर स्थित मां घटवारी का मन्दिर भी करीब आधा डूब चुका है। तिरगावां स्थित पक्के पुल के खम्भे पूरी तरह पानी में डूब चुके है। गंगा का पानी बाणगंगा नदी, जमालपुर और निधौरा नाले के सहारे पलट प्रवाह करते हुए बैराठ, रामगढ, रईया, चकरा, मुकुन्दपुर, कूरा, सिंगहा, नैढी, मारूफपुर, बोलनचक, मुस्तफाबाद, शहबाजपुर, शेरपुर सरैया, बोझवा, पूरवा आदि गांवों के सिवान को डुबोते हुए सम्बन्धित गावों के रिहायशी इलाकों की ओर रुख कर दिया है।तटवर्ती गांवो में लोगो को विषैले जानवरों जैसे सांप, बिच्छू, छगुनवा आदि से खतरा बढ़ गया है । गंगा किनारे रहने वाले ये जानवर पानी से बचने के लिए गांवो की तरफ रुख कर रहे है । ग्रामीणों का कहना है कि यदि दो तीन दिन तक पानी इसी तरह से बढ़ता रहा तो सन 2016 में आयी बाढ़ के रिकार्ड को ध्वस्त कर देगी। जिससे लोगों को खाने के लाले पड़ने लगेंगे और पशुओं के चारे के लिए विकट समस्या उत्पन्न हो जायेगी। इन सबके बीच जिला प्रशासन द्वारा बाढ चौकियों को स्थापित करने और उनके क्रियाशील होने का दावा लगातार किया जा रहा है जबकि सच्चाई दावे के बिल्कुल उलट है और बाढ चौकियां सिर्फ कागज पर सिमट कर रह गयी है।

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