बनवासी सेवा आश्रम का उद्देश्य गांव में जाकर लोगों को उनके अधिकार दिलाना और उनका शोषण रोकना – शुभा प्रेम

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   सोनभद्र। 2 अक्टूबर गांधी जयंती दिवस पर ग्राम स्वराज्य ग्राम सभा पंचायती राज और पारदर्शिता विषय पर 119 वां राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार में विशिष्ट अतिथि के तौर पर तीसरी सरकार अभियान के संयोजक चंद्रशेखर प्राण, बनवासी सेवा आश्रम की संचालिका  शुभा प्रेम, वर्तमान मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप सहित सैकड़ों आरटीआई से जुड़े हुए कार्यकर्ताओं ने अपनी सहभागिता दी।

   वेबिनार में सबसे पहले अपना उद्बोधन देते हुए तीसरी सरकार अभियान के संयोजक चंद्रशेखर प्राण ने बताया कि महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज्य का सपना साकार करने के लिए अभी भी काफी मेहनत करने की आवश्यकता है। उन्होंने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर जाकर बताया कि कैसे संविधान में गांधीजी के इस मुद्दे को साइडलाइन कर दिया गया था और बाद में 90 के दशक के दौरान वापस पंचायती राज कानून व्यवस्था के माध्यम से इसे लागू करने का प्रयास किया गया। 

   उत्तर प्रदेश के बनवासी सेवा आश्रम की संचालिका  शुभा प्रेम ने बताया कि कैसे वह महात्मा गांधी के विचारधारा पर चलते हुए गांव-गांव में जाकर सत्य और अहिंसा को आधार बनाकर आमजन और वंचित लोगों के लिए लड़ाई लड़ी है। सूदखोरी और महाजनी प्रथा के दुरुपयोग और ग्रामीणों के किए जाने वाले शोषण अधिक ब्याज में पैसा उपलब्ध करवाना और जमीन गिरवी रख लेना और फिर उसे वापस न करना जैसे कई मामलों पर बनवासी सेवा आश्रम और उनके द्वारा काफी अच्छे प्रयास किए गए। उन्होंने बताया कि इस दौरान विरोधी लोगों ने पुलिस प्रशासन और प्रशासन के साथ मिलकर उनकी काफी प्रताड़ना भी की लेकिन वह महात्मा गांधी के विचारधारा से डिगे नहीं और अभी भी उसी दिशा में निरंतर कार्यरत हैं। शुभा प्रेम ने कहा की महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की अवधारणा को साकार करने के लिए जन-जन में जागृत लानी पड़ेगी और इसमें शासन प्रशासन का सहयोग अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि अभी इस दिशा में कुछ ग्राम पंचायतों को साथ में लेकर सरपंचों के माध्यम से ग्राम सभा और वार्ड सभा आयोजित कर बेहतर व्यवस्था बनाए जाने और पंचायती राज व्यवस्था को सुदृढ़ करने के प्रयास चल रहे हैं और लोगों को निरंतर जागरूक किया जा रहा है।

   मध्य प्रदेश के वर्तमान सूचना आयुक्त राहुल सिंह एवं पूर्व सूचना आयुक्त आत्मदीप ने बताया कि सूचना का अधिकार कानून प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। जहां वर्ष 2005 के पहले मस्टररोल और ग्राम पंचायतों की जानकारी हासिल करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी और ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी नहीं मिल पाती थी वहीं अब इस कानून के आने के बाद लोग काफी संख्या में सूचना के अधिकार का आवेदन लगाते हैं और जब जानकारी नहीं मिलती है तो उसकी अपील सूचना आयोग तक कर रहे हैं। जब मामला सूचना आयुक्त के पास आता है तो उस पर न्यायोचित कार्यवाही करते हुए उन्हें जानकारी मुहैया कराई जाती है और जुर्माने भी लगाए जाते हैं। इस बीच राहुल सिंह ने बताया की पंचायतों में बेहतर व्यवस्था के लिए धारा 40 और 92 के कार्यवाही जिसमें जनप्रतिनिधियों और पंचायत कर्मचारियों के विरुद्ध वसूली और पद से पृथक करने की प्रक्रिया की जाती है एवं साथ में त्रिस्तरीय पंचायती चुनावों में शपथ पत्र और उनके चल अचल संपत्ति का ब्यौरा त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के विषय में वेब पोर्टल पर सार्वजनिक करने के भी आदेश उन्हीं के कार्यकाल में दिए गए हैं जिससे पंचायतों में अब बेहतर व्यवस्था हो रही है।

   कार्यक्रम में देश के विभिन्न कोनों से सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता जुड़े और सभी ने अपने प्रश्नों को रखा और उपस्थित विशेषज्ञों ने उनके जवाब दिए।  कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी के द्वारा किया गया जबकि सहयोगियों में पत्रिका समूह के वरिष्ठ पत्रकार मृगेंद्र सिंह, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा, देवेंद्र अग्रवाल, आईटी सेल से पवन दुबे आदि मौजूद रहे।

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