भदोही/ तुलसिकला कोनिया भदोही में लोक कल्याण हेतु आयोजित सप्त दिवसीय ज्ञानयज्ञ सप्ताह भागवत कथा में छठवें दिन कृष्ण और रुक्मिणी का विवाह सम्पन्न हुआ.
विंध्याचल से पधारे श्री सत्यम जी महाराज ने बताया महाराज भीष्म अपनी पुत्री रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण से करना चाहते थे, परन्तु उनका पुत्र रुक्मण राजी नहीं था। वह रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से करना चाहता था। विवाह की रस्म के अनुसार जब रुक्मिणी माता पूजन के लिए आईं तब श्रीकृष्णजी उन्हें अपने रथ में बिठा कर ले गए। तत्पश्चात रुक्मिणी का विवाह श्रीकृष्ण के साथ हुआ। ऐसी लीला भगवान के सिवाय दुनिया में कोई नहीं कर सकता। महाराज ने कहा कि भागवत कथा एसा शास्त्र है। जिसके प्रत्येक पद से रस की वर्षा होती है। इस शास्त्र को शुकदेव मुनि राजा परीक्षित को सुनाते हैं। राजा परीक्षित इसे सुनकर मरते नहीं बल्कि अमर हो जाते हैं। रास पंचाध्यायी में प्रभु की प्रत्येक लीला रास है। हमारे अंदर प्रति क्षण रास हो रहा है, सांस चल रही है तो रास भी चल रहा है, यही रास महारास है इसके द्वारा रस स्वरूप परमात्मा को नचाने के लिए एवं स्वयं नाचने के लिए प्रस्तुत करना पड़ेगा, उसके लिए परीक्षित होना पड़ेगा। जैसे गोपियां परीक्षित हो गईं। इस दौरान कृष्ण-रुक्मिणी की आकर्षक झांकी बनाई गई। जिनके दर्शन करने भक्तजन भाव विभोर हो गए।
यजमान मया शंकर पांडेय (छोटेलाल) तुलसीकला, कोनिया, जटा शंकर, ह्रदय, दिनेश, संतोष, राज, बच्चा, कालू, अभय, मुन्कू, लल्लू, बबलेश जितेन्द्र, शिवमूर्ति, साहेब, डबल, साजन, लालू सिंह, दिलीप सिंह, रामकिशन, अजब, मधुकर, सुंदरम आदि उपस्थित रहे।