किसी भी पुस्तक को प्रकाशित करने में व्याकरण की शुद्धियों को देखना और वैश्वििक उपलब्धता सुनिश्चित करना बहुत बड़ी जिम्मेदारी है- प्रकाशक पंडित छतिश द्विवेदी ‘कुण्ठित’
वाराणसी। भोजूबीर सरसौली स्थित ‘स्याही प्रकाशन’ परिसर के ‘उद्गार’ सभागार में डॉक्टर अनिल सिन्हा ‘बहुमुखी’ द्वारा रचित नाट्य पुस्तक ‘मार्गदर्शक’ का लोकार्पण और कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता पूर्व जनपद न्यायाधीश चंद्रभाल सुकुमार ने किया। वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसन्न कुमार भूतपूर्व निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं विशिष्ट अतिथि और मुख्य वक्ता पूर्व जिला विकास अधिकारी डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा रहे। कार्यक्रम में अहम भूमिका निभाने वाले ‘स्याही प्रकाशन’ के संस्थापक और पुस्तक के प्रकाशक पंडित छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ उपस्थित रहे।
अतिथियों ने सर्वप्रथम मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर और पुष्पांजलि देकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय संबोधन में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व जनपद न्यायाधीश चंद्रभाल ‘सुकुमार’ ने कहा कि साहित्य और रंग कर्म की विधा ही देश समाज की दशा और दिशा को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का आईना है। आज के युवा नाटक और रंग कर्म के माध्यम से समाज में दिशा और दशा परिवर्तित कर रहे हैं। स्याही प्रशासन और उद्गार संस्था के संस्थापक और अध्यक्ष पंडित छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने प्रकाशकीय कार्य व नाटक विधा की महत्ता पर प्रकाश डाला। कहा कि पुस्तक के प्रकाशन में प्रकाशक की अहम भूमिका होती है वह शब्द शब्द में व्याकरण की अशुद्धियों को शुद्ध करके आगे बढ़ाता है।
इस शुभ मौके पर डॉ अनिल ‘बहुमुखी’ ने अपनी नाटक की पुस्तक ‘मार्गदर्शक’ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह मेरे जीवन की प्रथम पुस्तक है। मैं बचपन से ही लेखन में बहुत रुचि रखता था। इस कृति की परिकल्पना आज से चार पांच दशक पहले ही कर लिया था। जिसे अब जाकर में प्रकाशित करवा पाया हूं। मैं प्रकाशक आदरणीय पंडित छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ का हृदय से आभारी हूँ। वहीं कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रसन्न कुमार ने कहा कि चिकित्सा जब साहित्यकार और लेखन समाज का एक दर्पण होता है। वही कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ दयाराम विश्वकर्मा ने कहा कि नाटक लेखन में रुचि रखने वाला व्यक्ति समाज की भाव भंगिमा को प्रदर्शित करता है।
कार्यक्रम में अन्य विशिष्ट अतिथियों में प्रकाश सिंह (पूर्व अधीक्षक, जिला अस्पताल वाराणसी), दिनेश कुमार सिंह (कार्यक्रम संयोजक आकाशवाणी वाराणसी) आईपीएस डीसीपी काशी जेन आरएस गौतम, वक्ता के रूप में शैलेंद्र सिंह जिला अध्यक्ष संयुक्त कर्मचारी संघ,, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से डॉक्टर शुभ्रा वर्मा, वाराणसी के डिप्टी चीफ वार्डन नागरिक सुरक्षा अविनाश अग्रवाल, डॉक्टर केसरी नारायण त्रिपाठी, मुर्तुजा आलम, कंचन सिंह परिहार, अष्टभूजा मिश्रा, डा. अरुण सिंह आदि रहे।
तत्पश्चात काव्य सभा प्रारंभ हुई। जिसमें नगर के सम्मानित कविगण और कवयित्रियाँ मौजूद रही। काव्य सभा में संचालक डा0 लियाकत अली जलज, डा0 डी. आर. विश्वकर्मा, अनिरुद्ध त्रिपाठी, सुनील कुमार सेठ, हर्ष वर्द्धन ममगाई, शिब्बी ममगाई, खुशी मिश्रा, डा. नसीमा निशा, डा. एकता गुप्ता, झरना मुखर्जी, सिद्धनाथ शर्मा, करुणा सिंह, माधुरी मिश्रा, कंचन लता चतुर्वेदी, महेन्द्रनाथ तिवारी अलंकार, संतोष प्रीत, दशरथ चौरसिया, शरद श्रीवास्तव, देवेन्द्र पाण्डेय, राम नरेश पाल, नन्दलाल राजभर, आशिक बनारसी, खलील अहमद राही, समीम गाजीपुरी, टीकाराम शर्मा, डा0 बैजनाथ श्रीवास्तव, अचला पाण्डेय, मनोज पाण्डेय, नरगिस, कवि बावरा, तेजबलि अनपढ़, अलियार प्रधान, आयुष सिंह ‘अबोध’, प्रसन्न बदन चतुर्वेदी, प्रकाशानन्द, शशि उपाध्याय, डा. प्रियंका त्रिपाठी, विन्ध्यवासिनी मिश्रा, चनद्रभूषण सिंह, देवेन्द्र पाण्डेय, मनोज मिश्रा मनु, खुशी मिश्रा, आकाश कहार, प्रियांशु मिश्रा, ज्योति, नव्या, प्रशान्त, अजय रोशन, गोपाल चन्द, सहित अनेक साहित्यकार व कवि रहे।