मुखौटा प्यार का लगाए हैं दरिंदे यहां, देखो तेरा दामन दागदार न हो जाए

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गवईं परिवेश में जमी कविता की महफ़िल

  नियामताबाद, चन्दौली/  ग्राम सभा महदिउर के पूर्णतः ग्रामीण परिवेश में युवक दल के सौजन्य से सजाई गई काव्य की महफिल। वैसे तो कविता अक्सर शहरों में आयोजन के माध्यम से सुनाई जाती है, लेकिन ग्राम सभा महदीउर में युवा कवि सम्मेलन के माध्यम से कविता की शानदार महफिल सजाई गई। जिसमें देर रात तक श्रोता काव्य की धारा में गोते लगाते रहे। कवि सम्मेलन का प्रारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व वंदना से हुआ।

पहले कवि के रूप में युवा कवि शिवम सांवरा ने सुनाया कि ‘सबसे छोटा ये आसमां निकाला,मुझमें पापा थे बराबर फिर भी मेरी जिह्वा से सिर्फ मां निकाला’ हरदोई से आए युवा कवि आदर्श सिंह गौर ने सुनाया ‘इन मंदिरों की घंटी को फिर नहीं बजाना, जब दे दिया है धोखा मेरी मौत पर ना आना’।  लखनऊ से आए मृत्युंजय बाजपेई ने सुनाया ‘हम दोनो को इस दुनियां में कितनी मुश्किल होती है, सोचो हम तुम साथ न होते दुनिया कितनी बोझिल होती है,।  

सुल्तानपुर से आए युवा गीतकार प्रियांशु वात्सल्य ने कविता को परिभाषित करते हुए  सुनाया ‘कविता ही श्लोक मंत्र, कविता ही गीत छंद, कविता ही वेद बन करती भलाई है,एक बात जानता हूँ और समझता हूँ कविता ही जग और जग कविताई है’। सीतापुर के आए हास्य के धुरंधर कवि सौरभ जायसवाल ने ‘पहने रूपानी हील बाज न मिले, हो सीधी साधी डील बाज न मिले, लूली मिले कानी मिले लंगड़ी मिले, प्रभु पत्नी रील बाज न मिले’ सुनाकर आज की नवयुवतियों पर व्यंग किया। कार्यक्राम संयोजन राकेश महदिउरी ने माटी को बोली में कईसन ऊ पागल होय कईसन ऊ गांव रे  सुनाकर ग्रामीण परिवेश को चित्रित किया। युवा कवि सुरेश अकेला ने किसी झूठे पर ना ऐतबार हो जाए किसी ज़ालिम से ना तुमको प्यार हो जाए मुखौटा प्यार का लगाए हैं दरिंदे यहां, देखो दामन न तेरा दाग़दार हो जाए। सुनाकर आज नवयुवतियों को सलाह देने का प्रयास किया।

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