स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी के लिए स्वतंत्र स्वास्थ्य अधिकार आयोग बने
स्वास्थ्य के अधिकार को संविधान के मूल अधिकार में शामिल करने की मांग की गयी
आम नागरिक को सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार की ही तरह स्वास्थ्य का अधिकार भी मिले
वाराणसी / स्वास्थ्य का अधिकार अभियान एवं आशा ट्रस्ट की संयुक्त पहल पर आयोजित हस्ताक्षर अभियान के तहत महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित 12 सूत्रीय ज्ञापन एवं बैनर पर लोगों के हस्ताक्षर जुटाए जा रहे हैं जिसमे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए स्वास्थ्य के अधिकार कानून की आवश्यकता बतायी जा रही है जिसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को सामान्य स्वास्थ्य सुविधाएं न्यूनतम खर्च और निकटतम दूरी पर मिलने का अधिकार हो और यह सुविधा न मिलने पर दोषियों को दंड और प्रभावित नागरिक को क्षतिपूर्ति मिलने का प्रावधान हो.
इस क्रम में शुक्रवार को अस्सी घाट पर कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों से समर्थन जुटाया गया. हस्ताक्षर अभियान सैकड़ों लोगों ने अपने हस्ताक्षर के साथ मांग को समर्थन दिया. ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस अभियान के समर्थन में विभिन्न तरह के आयोजन हो रहे हैं. सोशल मीडिया पर भी अभियान भी चल पड़े हैं.
अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्त्ता वल्लभाचार्य पाण्डेय ने बताया कि हम मांग पत्र को राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री, मुख्यमंत्री सहित विभिन्न राजनैतिक दलों तक भेजेंगे और मांग करेंगे कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं का पूर्ण सरकारीकरण किया जाए एवं स्वास्थ्य का राष्ट्रीय बजट तीन गुना किया जाय. प्रत्येक एक हजार की जनसंख्या पर प्रस्गिक्षित चिकित्सक की नियुक्ति हो जो स्थानीय आशा कार्यकर्त्री और आंगनबाड़ी के साथ मिल कर सामान्य स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराए. तापमान, रक्तचाप, मधुमेह एवं अन्य सामान्य जांच की सुविधा इस स्तर पर सुलभ होनी चाहिए. ग्राम पंचायत स्तर पर मातृ शिशु कल्याण केंद्र होना सुनिश्चित हो. ग्रामीण एम्बुलेंस सेवा को और बेहतर और सुलभ बनाया जाय. प्रदेश और केंद्र स्तर पर स्वतंत्र ‘स्वास्थ्य अधिकार आयोग’ का गठन हो जो सभी स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं से सम्बन्धित शिकायतों पर सुनवाई करे और दोषियों को दंडित करे.
अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि विगत दिनों राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने दर्द निवारक, विभिन्न संक्रमणों एवं हृदय, किडनी, अस्थमा, टीबी , संक्रमण, त्वचा, एनीमिया, डायबिटीज, रक्त चाप, एलर्जी, विषरोधी, खून पतला करने की दवा, कुष्ठ रोग, माइग्रेन, पार्किंसन, डिमेंशिया, साइकोथेरैपी, हार्मोन, उदर रोग आदि से सम्बन्धित लगभग 800 आवश्यक दवाओं के मूल्य को नए वित्तीय वर्ष में लगभग 11 प्रतिशत बढाने की संस्तुति दी है, जिसके बाद आज से दवाओं के दाम बढ़ेंगे. इस भारी वृद्धि से देश के आम आदमी पर बड़ा बोझ पड़ेगा. विगत दो तीन वर्षों से व्याप्त कोरोना संक्रमण के संकट, बेतहाशा बढ़ती महंगाई और आर्थिक मंदी के दौर में आवश्यक दवाओं के मूल्य में वृद्धि किया जाना अमानवीय और अव्यावहारिक है. इससे आम जनता बुरी तरह प्रभावित होगी. डीजल, पेट्रोल, गैस आदि के मूल्य वृद्धि का असर लगभग सभी वस्तुओं पर पड़ रहा ऐसे में दवाओं के मूल्य में बढ़ोत्तरी होना काफी कष्टकारक होगा. वरिष्ठ नागरिको पर भी इस वृद्धि से काफी प्रभाव पड़ेगा.
आज के कार्यक्रम में वल्लभाचार्य पाण्डेय, धनंजय त्रिपाठी, दीन दयाल सिंह, सूरज पाण्डेय, डा. इंदु पांडेय, एकता शेखर, रवि शेखर, सानिया अनवर, दीपक पुजारी, विनय सिंह, नीलम पटेल। आदि शामिल रहे।