राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने किया फेसबुक पर लाइव संवाद

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ओ पी एस मुद्दे पर कर्मचारियों के विवेक की सराहना किया

कर्मचारियों ने राष्ट्रहित, प्रदेश के विकास एवं स्थिर सरकार के मुद्दे पर वोट डाला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजे अब साफ हो चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में एक बार पुनः  अपना 2017 का प्रदर्शन दोहराती हुई दिखाई पड़ रही है। देश की जनता ने योगी जी के कार्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर अपनी मुहर लगाई है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव नतीजों पर त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए फेसबुक लाइव के माध्यम से प्रदेश के कर्मचारियों की समझदारी के लिए उनका आभार व्यक्त किया है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के एक गुट के  हरि किशोर तिवारी, अन्य गुटों से जुड़े अतुल मिश्रा, वी पी मिश्र, सुरेश रावत ,अशोक कुमार, रामेंद्र श्रीवास्तव, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ से रामराज दुबे सहित अधिकांश कर्मचारी नेताओं ने, जो सरकारी कर्मचारियों के संगठन चलाते हैं, आचार संहिता एवं कर्मचारी आचरण नियमावली का खुला उल्लंघन करते हुए समाजवादी पार्टी के पक्ष में कर्मचारियों से वोट देने का मीडिया के माध्यम से खूब प्रचार पसार किया। जबकि राज्य कर्मचारी के किसी संगठन  को किसी भी राजनीतिक पार्टी के पक्ष में वोट देने के लिए कहने का अधिकार नहीं है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन  लागू करने की समाजवादी पार्टी के की घोषणा को चुनावी स्टंट बताया था जिस पर कर्मचारी संगठनों ने विरोध प्रकट किया था तथा खुलकर समाजवादी पार्टी का साथ देने तथा उत्तर प्रदेश में सरकार बदलने की बड़ी बड़ी घोषणाएं किया था, जबकि संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने पुरानी पेंशन को केंद्र सरकार का मुद्दा बताया था तथा कर्मचारियों से अपने विवेक  के आधार पर मतदान करने की अपील किया था। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए उन्होंने संयुक्त परिषद के माध्यम से मतदाता जागरूकता अभियान भी चलाया था। प्रदेश के कर्मचारियों ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया तथा अपना स्वार्थ सिद्ध करने में लगे कर्मचारी नेताओं की पार्टी विशेष के लिए वोट देने की अपील को ठुकराते हुए अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए अपने मत का प्रयोग किया।

प्राप्त आंकड़ों के अनुसार चुनाव के सातवें फेज तक कुल 3 लाख 72 हजार सर्विस बैलट पेपर के माध्यम से वोट पोल हुए जिसका 66% शेयर भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में गया। अर्थात लगभग 2 लाख 45 हजार से भी अधिक बैलेट पेपर वोट भाजपा को मिले जबकि 1 लाख 26 हजार बैलेट पेपर वोट अन्य पार्टियों को मिले। इससे स्पष्ट है कि कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन को स्टेट का मुद्दा नहीं माना। चुनाव के दौरान अपने स्वार्थ में लगे हुए कर्मचारी नेताओं ने पुरानी पेंशन को राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश की तथा जानबूझकर उसे इस प्रकार उलझाया ताकि कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ ना मिल सके।

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