विलुप्त हो रही कजरी को जीवन्त करने का गायक अशोक सिद्धार्थ केसरवानी ने उठाया वीणा 

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पं.दी.द.उ. नगर (चन्दौली)। सावन महीने का महत्व आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से हमारे देश में अत्यधिक है। हरिशयनी एकादशी के पश्चात चतुर्मास प्रारंभ हो जाता है और भिन्न-भिन्न रूपों व उद्बोधनों से महादेव की अर्चना पूरे देश में भक्तो द्वारा भक्ति-भाव से की जाती है। देश के विभिन्न क्षेत्रों में जैसे कैलाश मानसरोवर , अमरनाथ , केदारनाथ , बद्रीनाथ , देवघर , गुप्ता धाम व ताड़कनाथ आदि के लिए कावड़ यात्राएं निकाली जाती हैं। देश में शासन-प्रशासन की निगरानी में यात्रायों को सुरक्षित निकालने की योजनाएं बनाई जाती हैं। वहीं सभी प्रदेश के निवासी अपनी-अपनी भाषा में भोलेनाथ को रिझाने के लिए गीतों का लेखन कर भक्ति-भाव से प्रस्तुती करते हैं। श्रावण मास नजदीक आते ही विश्व की सबसे प्राचीन बनारस काशी नगरी के निवासियों में अपने आराध्य को मनाने व रिझाने के लिए गीत स्वतः ही प्रस्फुटित होने लगता है।

प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद से गायन में प्रभाकर की उपाधि प्राप्त किए नगर के सुप्रसिद्ध देवी गीत, पचरा, भजन गायक एवं केसरवानी वैश्य समाज के चन्दौली जिलाध्यक्ष अशोक सिद्धार्थ केसरवानी बताते हैं कि श्रावण मास में बनारस काशी व उससे लगायत आसपास के क्षेत्रों में कजरी गायन का प्रचलन अधिक है। भगवान महादेव पर आसक्ति रखने वाला प्रत्येक व्यक्ति इन दिनों कजरी गाने व उसका रसस्वादन करने के लिए रसिकों की भांति लालायित रहता है। पूर्वांचल की धरती पर चारों तरफ कजरी की आवाज सुनाई देने लगती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे पाश्चात्य संस्कृति की ओर लोगों का रुझान बढ़ने से पारंपरिक धरोहर लोकगीत लगभग विलुप्त होने के कगार पर है। इसका मुख्य कारण है कि युवाओं का पाश्चात्य गीतों पर रुझान अधिक होना। जिससे लोकगीतों को गाने वालों की संख्या भी कम हो गई है। पूछने पर अशोक सिद्धार्थ ने बताया कि हमे पारम्परिक लगभग चालीस प्रकार के गीत आते है जैसे –  होली , बंदा , बंदी , कजरी , सोहर , लाचारी , बधइया , पूर्वी , चईती , देवी गीत , पचरा , छपरईया , खेमटा , बारहमासी , बिरह , कहरवा , दादरा , निर्गुण इत्यादि प्रकार के पारम्परिक गीत आते है। सावन आते ही पूर्वांचल की धरती पर चारों तरफ गांवों में पेड़ों पर झूला डालकर झूलते झुलाते हुए कजरी गाने का प्रचलन सदियों पुराना रहा है। जो  अब बहुत कम देखने को मिलता है। कुछ गिने-चुने पुराने और कुछ नवोदित गायक कलाकार हैं जो इस धरोहर को जीवंत करने की जुगत में मनोयोग से लगे हैं। उसी के तहत पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर ( मुगलसराय )जिला चंदौली में जन्मे गायक कलाकार सुप्रसिद्ध देवी गीत, पचरा, भजन गायक अशोक सिद्धार्थ केसरवानी द्वारा स्वयं लिखित कजरी गीत एलबम कजरी गीत के बोल हैं। “आटा दाल चावल हड़िया पिया लेईके चला ….. शिव के दुअरिया चला ना। यह कजरी गीत सुर-सरिता म्यूजिक यूट्यूब चैनल पर। भी देखने व सुनने के लिए मिल जाएगा।

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