समाज की खांई को पाटने के लिए ही श्री सर्वेश्वरी समूह की स्थापना-पूज्यपाद औघड़ गुरुपद संभव राम जी

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श्री सर्वेश्वरी समूह का 63 वाँ स्थापना दिवस और बाबा कीनाराम जी का जन्म षष्ठी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

 पड़ाव, वाराणसी । अघोर पीठ, श्री सर्वेश्वरी समूह संस्थान देवस्थानम्, अवधूत भगवान राम कुष्ठ सेवा आश्रम में आज श्री सर्वेश्वरी समूह का 63वाँ स्थापना दिवस और महाराजश्री बाबा कीनाराम जी का जन्म षष्ठी पर्व संस्था अध्यक्ष औघड़ गुरुपद संभव राम जी के सान्निध्य में और संस्था के पदाधिकारियों और सैकड़ो सदस्यों व श्रद्धालुओं की उपस्थिति में मनाया गया। प्रातःकालीन आरती तथा सफाई व श्रमदान के पश्चात् सुबह 6 बजे एक प्रभातफेरी निकाली गई। एक वाहन की छत पर परमपूज्य अघोरेश्वर महाप्रभु का विशाल चित्र लगाकर उसके आगे मोटर सायकिल तथा पीछे चार पहिया वाहनों की कतार में श्रद्धालुगण प्रभातफेरी लेकर पड़ाव से मैदागिन, लहुराबीर कचहरी से पांडेयपुर होते हुए सारनाथ स्थित “अघोर टेकरी” पर पहुंचे। यहाँ अवस्थित अघोरेश्वर चरण पादुका का पूजन संस्था के मंत्री डॉ० एस०पी० सिंह ने किया और सर्वेश्वरी ध्वज फहराया। पृथ्वीपाल द्वारा सफलयोनि पाठ के पश्चात् प्रभातफेरी आशापुर से पांडेयपुर, चौकाघाट होते हुए पड़ाव आश्रम वापस आ गई। यहाँ पर श्री सर्वेश्वरी समूह के अध्यक्ष परमपूज्य औघड़ बाबा गुरुपद संभव राम जी ने अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम जी की प्रतिमा का पूजन करने के पश्चात् सर्वेश्वरी ध्वजारोहण किया। डॉ० अशोक कुमार सिंह द्वारा सफलयोनि पाठ के बाद प्रसाद वितरण हुआ।  दोपहर 12 बजे एक गोष्ठी आयोजित हुई|

गोष्ठी में सर्वप्रथम अवधूत भगवान राम नर्सरी विद्यालय के प्रतिभावान छात्र-छात्राओं को पुरष्कृत व सम्मानित किया गया| अपनी कक्षा में प्रथम स्थानप्राप्त विद्यार्थियों को उनके वर्ष भर के शिक्षण शुल्क का १००%, द्वितीय को 60 और तृतीय को ४०%  शुल्क वापस देकर और साथ में प्रशस्ति पत्र व मैडल देकर पुरष्कृत किया गया| इसके अलावा विभिन्न सांस्कृतिक कर्यक्रमों में प्रतिभागी विद्यार्थियों को भी सम्मानित किया गया| 

गोष्ठी के अन्य वक्ताओं में श्री भोलानाथ त्रिपाठी जी, कुमारी स्वीटी रानी, कर्नल लोकेन्द्र सिंह बिष्ट जी, श्री एस०पी० यादव जी तथा श्री योगेन्द्र प्रसाद सिंह जी थे| संस्था के मंत्री डॉ० एस०पी० सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया| गोष्ठी का सञ्चालन डॉ० बामदेव पाण्डेय जी ने तथा अध्यापिका श्रीमती नीतू सिंह जी ने किया| मंगलाचरण श्री ओमप्रकाश तिवारी जी ने किया। 

अपराह्न 3:30 बजे आश्रम के उपासना स्थल (चिकुट देवी विहार प्रांगण) में पूज्यपाद औघड़ बाबा गुरुपद संभव राम जी द्वारा “अघोरान्ना परो मन्त्रः नास्ति तत्वं गुरोः परम्” के अखंड संकीर्तन का शुभ्रम्भ कराया गया, जिसका समापन कल अघोरेश्वर जयंती के दिन अपराह्न 3:30 बजे होगा| उल्लेखनीय है कि श्री सर्वेश्वर समूह की सैकड़ों शाखा कार्यालयों तथा आश्रमों में यह कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रत्येक जगहों पर प्रभातफेरी, ध्वजारोहण व गोष्ठी का आयोजन किया गया।

यह एक अद्भुत संयोग है कि हमारी संस्था श्री सर्वेश्वरी समूह का स्थापना दिवस और बाबा कीनाराम जी का जन्म षष्ठी पर्व एक साथ है| आज 21 सितम्बर को दिन और रात बराबर हुआ करता है| ईश्वर की जो यह संरचना है- दिन और रात, अंधकार और प्रकाश, यह महापुरुषों के लिए एक समान होते हैं| वह सभी से एक जैसा व्यवहार करते हैं| लेकिन यदि उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का हम अनुसरण नहीं करते हैं तो हमें अंधकार भी भासता है, प्रकाश भी भासता है और न जाने क्या-क्या भासता है| इस सृष्टि में जो कुछ भी व्याप्त है यह उस ईश्वर की ही रचना है, इसीलिए वह इसमें कोई भेद नहीं करते हैं| दुर्भाग्य से जो यह मनुष्य प्राणी हैं वह अनेक धर्म-मजहब में बंटे हैं, वह अपने-अपने हिसाब से, अपने-अपने लाभ के लिए नाना प्रकार के कुत्सित कार्यों को करते रहते हैं और नाना प्रकार के कुत्सित विचार लोगों को देते रहते हैं, भ्रमित करते रहते हैं| महापुरुषों का जो अवतरण हुआ है जिसे हमलोग कह देते हैं कि वह ब्रह्मा, विष्णु, महेश के अवतार थे, तो वह अवतार नहीं, वह तो स्वयं ही सर्वत्र व्याप्त हैं| कहा भी जाता है- “सदा भवानी दाहिने सन्मुख रहे गणेश, तिनके पग वंदन करें ब्रह्मा, विष्णु, महेश|”

महाराज श्री बाबा कीनाराम जी का अवतरण ऐसे समय में हुआ जब इस देश में मुगलों का, यवनों का शासन था जो बहुत लम्बे समय से चला आ रहा था, उस समय समाज में भय का वातावरण था| उन लोगों के द्वारा भी, और अपने ही दिग्भ्रमित लोगों के द्वारा भी बहुत से अत्याचार हुआ करते थे| उनसे कई लोगों की उन्होंने रक्षा की और उस समय के उन शासकों को भी प्रेरणा दी| कई मुगल शासकों को जो लोभ और मोह के वशीभूत थे उनको महाराजश्री ने फटकार लगायी थी| लेकिन उस समय भी जो दिग्भ्रमित रहे वह एक दूसरे को मारते-काटते रहे, लूटते रहे| महाराजश्री ने कहा है कि इस जड़ सामान देह में प्राण की ही प्रधानता है| लेकिन इसी जड़ और गूंगे देह के अभिमान में न जाने कैसे-कैसे कृत्य हमलोग कर देते हैं| आज हमलोग मजहबी लोगों के प्रलोभन में फंसकर मानवता से दूर होते जा रहे हैं| आज का हमारा कर्म ही कल का भविष्य होगा| लोभ और मोह के वशीभूत होकर हम यदि किसी को लूटते हैं, मारते हैं, तो उसका भोग हमें भोगना ही पड़ेगा| हमारा आने वाले जन्म का कारक भी हमारे कर्म ही हैं| समय, काल और परिस्थिति के चक्र में हमलोग बंधे हुए हैं और इन्हीं सारे बन्धनों से मुक्ति के लिए वह महापुरुष हमेशा कहा करते हैं| पहले भी औघड़-अघोरेश्वर समाज से दूर भी रहते थे और समाज को सुधारने के लिए समाज के बीच में भी आते थे|

परमपूज्य अघोरेश्वर ने श्री सर्वेश्वरी समूह की स्थापना इसीलिए की है कि समाज में बहुत बड़ी खाई हो गई थी| लेकिन वह भी कहते-कहते अपने इस शरीर से पर्दा कर लिए जो हमारे और आपके उद्धार के लिए ही हमारे बीच में आये थे| तो हमलोग अपने से अपना नरक बनाये हुए हैं| बहुत कम लोग हैं जो उनकी वाणी का अवलंबन लेकर अपने घर में, बाहर में, अपने-आपमें उस स्वर्ग का अनुभव करते हैं| यह हमारी अपनी कमजोरियां हैं जो हमारी विवेक-बुद्धि खुल नहीं रही है और हम प्रताड़ित है| मानव सेवा के लिए ही इस संस्था की संरचना हुई है| मनुष्य को अन्धकार से प्रकाश की और ले चलिए| मैं तो आपसे यही निवेदन करूंगा कि हम अपनी प्रकृति को उस ईश्वर की प्रकृति में देखें और अपनी विवेक-बुद्धि से इन सब चीजों को समझने का प्रयत्न करें| यह संस्था पूरे राष्ट्र और समाज के लिए है| हमें शक्तिशाली बनना है, कमजोर नहीं| हममे अपनी रक्षा का सामर्थ्य होना चाहिए|

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