वाराणसी/ आज साझा संस्कृति मंच ने बेनियाबाग वाराणसी स्थित गाँधी चबूतरे पर श्रद्धासुमन अर्पित किया। बनारस के बुद्धिजीवी गांधीवादी सर्वोदयी जनों ने सर्व धर्म प्रार्थना सभा कर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि दी।
ज्ञातव्य है कि आज ही के दिन 30 जनवरी 1948 को एक उग्रपंथी कट्टर नाथूराम गोडसे ने प्रार्थना सभा मे जाते समय महात्मा गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। शाम छः बजे भारतीय रेडियो पर सन्नाटा छा गया, सभी प्रसारण रोक दीये गए। प्रधानमंत्री नेहरू की मर्माहत आवाज़ सुनाई दी ” आज सायंकाल पांच बजकर बीस मिनट पर नई दिल्ली में महात्मा गांधी की हत्या कर दी गई। हमारे जीवन से रोशनी चली गई है। “
वयोवृद्ध बुद्धिजीवी सुनील सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि बनारस में फरवरी 1948 में गांधी जी की अस्थियां गंगा जी मे प्रवाहित करने के पूर्व बेनियाबाग पार्क में रखी गयी थी। अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि गांधी ने ‘ सत्य ‘ जैसे शब्द को न केवल अंग्रेजो को भगाने का हथियार बनाया बल्कि भारत देश की बनावट में उन्होंने अहिंसा और सत्य को एक संस्कार के रुप में स्थापित कर दिया।
सर्व सेवा संघ प्रकाशन से जुड़े अरविंद अंजुम ने कहा कि दुनिया मे हमारी पहचान गांधी और बुद्ध से है। नंदलाल मास्टर ने कहा कि दुनिया मे लालच और भ्रस्टाचार बढ़ रहा है। इंसान को शांति और प्यार नही मिल रहा है। हमे गांधी जी के बताए शांति और स्वराज के रास्ते पर लौटने की सोचने की जरूरत है।
फ़ा0 आनंद ने गांधी जी के सेवा कर्म को याद किया। कुष्ठ रोगियों की सेवा, छुवाछुत के खिलाफ कार्यक्रम बनाए। पारमिता ने सभा के अंत मे मौन रखकर वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थना करवाई। प्रेरणा कला मंच के रंगकर्मियों ने गाँधीधुन गाई। कार्यक्रम का संचालन जागृति राही ने किया।प्रार्थना सभा मे चित्रा सहस्त्रबुद्धे, किसान नेता रामजनम, नंदलाल मास्टर, सुनील सहस्त्रबुद्धे, डॉ अनुप श्रमिक, इन्दु, जितेंद, सानिया अनवर, अशोक भारत, सिस्टर फ़्लोरिन, सिस्टर बेंसीटा, फ़ा0 आनंद,राजेन्द्र ,मुकेश झँझरवाला, प्रवीण काशी, कमर जंहा, युध्दवेश धनञ्जय, जयनारायण कुशवाहा इत्यादि मौजूद रहे।