काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा षड् दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन

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वैदिक विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा दिनांक दिनांक 20-26 सितम्बर, 2022 तक आयोजित होने वाली षड् दिवसीय ‘‘ज्योतिष शास्त्र का वैज्ञानिक सन्दर्भ’’ राष्ट्रीय कार्यशाला का 20 सितम्बर, 2022 को सायं 4:00 बजे शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो0 आर्य भूषण शुक्ला, भारतीय विद्या परियोजना प्रोजेक्ट विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली ने कहा कि भारतीय ज्योतिष पूर्णतयः वैज्ञानिक है, इसके लिए उन्होंने ज्योतिष के मूलभूत आधार तत्त्वों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने नौ ग्रहों के चिह्न की उत्पत्ति से अपने व्याख्यान को प्रारम्भ करते हुए कुण्डली में आने वाली दशाओं के वैज्ञानिक, ज्योतिषीय एवं आध्यात्मिक दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम के मुख्यातिथि प्रो0 रामचन्द्र पाण्डेय, पूर्व अध्यक्ष, ज्योतिष विभाग एवं पूर्व संकायप्रमुख, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय ने कहा कि भारतीय ज्योतिषीय गणना पूर्णतया वैज्ञानिक है। ज्योतिष काल विधान का शास्त्र है और यह विज्ञान अनादिकाल से चला आ रहा है। हमारे ऋषि आधुनिक संयत्रों के अनुपलब्धता में भी वैज्ञानिक पद्धतियां का प्रयोग करते हुए गणना करके  सूर्य ग्रहण एवं चन्द्र ग्रहण का सटीक आकलन करते थे। अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो0 कमलेश झा, संकायप्रमुख, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय ने कहा कि भारतीय ज्योतिषीशास्त्र के वैज्ञानिक महत्त्व को आज पूरा विश्व स्वीकार कर रहा है। 

इस कार्यशाला में आये हुए अतिथियों एवं श्रोताओं का स्वागत करते हुए वैदिक विज्ञान केन्द्र के समन्वयक प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि ज्योतिष को प्रत्यक्ष शास्त्र कहा गया है और वैदिक मंत्रों में ज्योतिष को वैदिक शास्त्रों का नेत्र बताया गया है। ज्योतिषशास्त्र वैदिक विज्ञान का मूल रीढ़ है जो काल निर्धारण में सहायक होता है। निश्चित ही प्रो0 शुक्ला के वक्तव्य से ज्योतिष विधा से जुड़े हुए शिक्षाविदों एवं शोधार्थियों को एक नई राह मिलेगी, जिससे आम जनमानस लाभान्वित होगा। सत्र का संचालन कार्यशाला के आयोजन सचिव डॉ0 सुशील कुमार गुप्ता, सहायक आचार्य, ज्योतिष विभाग तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 नारायण प्रसाद भट्टराई, सहायक आचार्य, वेद विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय ने किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ वैदिक मंगलाचरण एवं अतिथियां के द्वारा मंगल दीपप्रज्ज्वलन के साथ महामना जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण द्वारा किया गया। इस अवसर पर वैकि विज्ञान केन्द्र के समन्वयक द्वारा आये हुए अतिथियां का अंगवस्त्रम् एवं स्मति चिह्न द्वारा सम्मान किया गया। कार्यशाला में शताधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।  

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