तेरह वर्षो में नही बन पाई सेवा नियमावली, सफाई कार्मिको में रोष

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लखनऊ,। प्रदेंश में पंचायती राज ग्रामीण सफाई कार्मिकों की सेवानियमावली 2008 से लम्बित है। इसके कारण पंचायती राज ग्रामीण सफाई कार्मिक पदोन्नति से वंचित है। एक तरफ शासन द्वारा चतुर्थ श्रेणी कार्मिक सेवा नियमवाली होने का दावा करता है तो दूसरी तरफ विभाग के अनुसचिव पृथक सेवा नियमावली को औचित्य न होने की जानकारी देकर प्रमुख सचिव पंचायती राज के पृथक सेवानियमवली प्रख्यापित किये जाने वाले आदेश का अतिक्रमण किया जाता है। ऐसी स्थिति में प्रदेश के पंचायती राज ग्रामीण सफाई कार्मिक आदेश के बावजूद पृथक सेवानियमावली न होने कारण लम्बे अरसे से नियमानुसार बीस प्रतिशत पदोन्नति से वंचित है। उ.प्र. पंचायती राज ग्रामीण सफाई कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष क्रांति सिंह और महामंत्री बसन्त लाल ने प्रदेश सरकार से तत्काल प्रमुख सचिव क आदेशनुसार सेवानियमावली बनाए जाने की मांग की है।
प्रदेश अध्यक्ष क्रांति सिंह ने बताया कि वर्ष 2008 मार्च में तत्कालीन प्रमुख सचिव पंचायती राज आर.के. शर्मा द्वारा ग्राम पंचायतों में सफाई की व्यवस्थ हेतु सफाई कार्मिकों के पदों के सृजन के सम्बंध में जारी आदेश में स्पष्ट आदेश किया कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक सफाई कार्मिकें के पद कुल 108848 की स्वीकृति सम्यक विचारोपरान्त राज्यपाल महोदय से स्वीकृति प्रदान करने के साथ स्पष्ट कहा गया था कि इनकी नियुक्ति प्राधिकारी, ग्राम पंचायत होगी और इसकी भर्ती की प्रक्रिया एवं सेवा शर्तो के संबंध में सेवानियमावली पृथक से प्रख्यापित होगी। जबकि इस बीच पंचायत राज ग्रार्मीण सफाई कार्मिक संघों लगातार सेवानियमावली बनाए जाने और पदोन्नति की मांग की जाती रही। इसके परिपेक्ष्य मे कई बार पदेान्नति सम्बंधित कई पत्र जारी हुए। लेकिन पदोन्नति नही हो पाई। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में अनुसचिव पंचायती राज रामनगीना मौर्य ने 8 अप्रैल 2013 को एक पत्र निदेशक पंचायती राज को प्रेषित कर सफाई कार्मिकों की पृथक सेवानियमावली प्रख्यापित किये जाने को औचित्यविहीन बताया। अब सवाल यह उठता है कि शासन में ग्रामीण सफाई कार्मिकों की सेवानियमावली को लेकर जारी अलग अलग आदेश से इस संवर्ग का अहित हो रहा है। ऐसे में संघ की स्पष्ट मांग है कि प्रमुख सचिव क आदेशनुसार सेवानियमावली अतिशीघ्र जारी की जाए।

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