अभियान अंतर्गत कबाड़ से बनी कलाकृतियों को देश-भर में मिली सराहना
विलासपुर।एसईसीएल द्वारा, नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए भारत सरकार के विशेष अभियान 3.0 की 31 अक्टूबर 2023 को समाप्ति की गई। अभियान के तहत चिन्हित जगहों की सफाई एवं स्क्रैप निस्तारण में एसईसीएल कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में सबसे आगे रही। 2 अक्टूबर से शुरू होकर 31 अक्टूबर तक चलने वाले इस अभियान में एसईसीएल द्वारा मुख्यालय एवं विभिन्न संचालन क्षेत्रों में निर्धारित लक्ष्य 120 स्थानों को पीछे छोड़ते हुए 160 से ज़्यादा जगहों को साफ किया गया है और इस प्रकार लगभग 29 लाख वर्ग फुट से अधिक का क्षेत्र स्क्रैप मुक्त हुआ है जोकि लक्ष्य से लगभग 7 लाख वर्ग फुट अधिक रहा। स्क्रैप निस्तारण की बात करें तो कंपनी द्वारा 2000 मेट्रिक टन से अधिक स्क्रैप हटाया गया जिससे 10 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ ।
भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा इस साल 2 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक विशेष अभियान 3.0 चलाने की घोषणा की गई थी, जिसमें साफ-सफाई एवं स्क्रैप/कबाड़ के निस्तारण के साथ सरकारी कार्यालयों में लंबित फाइलों के निपटान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
लंबित फाइलों एवं शिकायतों के निपटान पर ज़ोर
अभियान के दौरान साफ-सफाई एवं स्क्रैप निस्तारण के अलावा एसईसीएल द्वारा लंबित फाइलों के निपटान पर भी विशेष ध्यान दिया गया। विशेष अभियान 3.0 के तहत एसईसीएल द्वारा लगभग 4300 से अधिक फाइलों एवं 5,700 से अधिक ई-फाइलों की समीक्षा की गई एवं 3300 से अधिक फाइलों एवं 2500 से अधिक ई-फाइलों का निपटान किया गया।
वहीं कंपनी द्वारा सीपीग्राम्स में शिकायतों के त्वरित निपटारे के लिए द्रुत गति से कार्य किया जा रहा है। नतीजन एसईसीएल लोक शिकायत के निपटान में लगने वाले समय में काफी कमी आई है। 1.10.2022 से 30.09.2023 की समयावधि में शिकायतों के निपटान में औसतन 8 दिन का समय लगा है।
एसईसीएल द्वारा “कबाड़ से कलाकृति” की अनोखी पहल
विशेष अभियान 3.0 की सामान्य गतिविधियों से हटकर एसईसीएल द्वारा एक अनोखी पहल करते हुए खनन स्क्रैप सामग्री को सुंदर प्रतिमाओं में बदलकर इस अभियान को कचरे के सर्वश्रेष्ठ उपयोग के अवसर के रूप में अंगीकृत किया गया। एसईसीएल के जमुना कोतमा क्षेत्र में स्क्रैप का इस्तेमाल करते हुए 4 सुंदर कलाकृतियों का निर्माण कर एक सार्वजनिक पार्क में स्थापित किया गया है। वहीं एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के होनहार कामगारों द्वारा कबाड़ से चंद्रयान रॉकेट की सुंदर कलाकृति को बनाया गया है। इन प्रतिमाओं के निर्माण में महिल कामगारों द्वरा भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई।