लद्दाख के जल, जमीन और संस्कृति को संवैधानिक संरक्षण की मांग के साथ सड़क पर उतरा साझा संस्कृति मंच

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*सोनम वांगचुक के अगुवाई में लद्दाख में चल रहे संघर्ष के समर्थन में बीएचयू गेट पर जुटे लोग*

*लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, 6ठी अनुसूची में संरक्षण की मांग शामिल*

वाराणसी / बीएचयू गेट पर साझा संस्कृति मंच ने प्रदर्शन किया। लद्दाख में सोनम वांगचुंग के द्वारा उठाये गए मुद्दों के समर्थन में आयोजित प्रदर्शन में छात्र युवा बड़ी संख्या में शामिल हुए। सोनम वांगचुक 6 मार्च 2024 से 26 मार्च तक भूख हड़ताल पर बैठे रहे, उनके समर्थन में लद्दाख़ के 10 हजार से अधिक नागरिक निरंतर सड़कों पर हैं। 

ज्ञातव्य है कि आज लद्दाख में पश्मीना मार्च का आह्वान किया गया था। सीमा पर चीन द्वारा कब्जा किये जाने की बात को मोदी सरकार झूठा बताती है। पश्मीना मार्च में लाखों लोग सीमा की ओर कूच करते और मोदी सरकार का झूठ सब जान जाते। डरी हुई सरकार ने 144 लागू करके पुलिस सेना सड़को पर उतार कर मार्च रोक दिया। बनारस सहित देश के अन्य हिस्सों में प्रतिवाद दर्ज कर एकजुटता दर्शाई जा रही है।

लद्दाख़ अपने जैव विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य और स्थानीय संस्कृति के लिए जाना जाता है। धारा 370 खत्म होने के बाद लद्दाख़ को बड़े कॉरपोरेट घरानों के लूट के लिए खोल दिया गया है जिससे वहाँ के पर्यावरण पर बुरा असर हो रहा है तथा स्थानीय लोगों को आजीविका भी प्रभावित हुई है। इस आंदोलन की प्रमुख माँग है कि,

• *लद्दाख़ को राज्य का दर्जा देकर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को बहाल किया जाए,* • *राज्य में एक अलग लोक सेवा आयोग का गठन हो,*• *लेह एवं कारगिल को अलग अलग जिला घोषित किया जाए,*• *साथ ही, यह आन्दोलन लद्दाख को अनुसूची 6 के अन्दर संरक्षण की मांग भी कर रहा है.*

आन्दोलन ने स्पष्ट तौर पर यह भी उल्लेखित किया है कि चीन हमारी सीमा के अंदर घुस आया है और लद्दाख में हमारे देश का एक अहम् भूभाग उसके कब्जे में है। यह लद्दाख़ और पूरे देश की सुरक्षा से जुड़ा एक गंभीर मसला है जिसे सोनम वांगचुक समेत लद्दाख़ के नागरिकों द्वारा उठाया जा रहा है।

प्रदर्शन में जुटे साझा संकृति मंच के सदस्यों ने बताया कि बनारस के लोग लद्दाख़ के नागरिकों के इस आंदोलन का समर्थन करते हैं। सोनम वांगचुक के अनशन को महीनों होने को आये, लेकिन सरकार इस पूरे मामले पर उदासीन रवैया अपनाए हुए है। 

छठी अनुसूची की मांग पर स्पष्टता करते हुए बताया गया कि छठी अनुसूची के किसी भी इलाके में अलग तरह की स्वायत्ता होती है. संविधान के अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275 (1) में विशेष व्यवस्था दी गई है. जम्मू-कश्मीर राज्य का हिस्सा होने पर लद्दाख के पास यह विशेष अधिकार था. पूर्वोत्तर के कई राज्यों असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम में आज भी यह विशेष व्यवस्था लागू है।इसका फायदा यह है कि यहां इनका अपना प्रशासन है। इसे लागू होने के बाद खास इलाके में कामकाज को सामान्य बनाने के इरादे से स्वायत्त जिले बनाए जा सकते हैं।

लद्दाख के पर्यावरण का संरक्षण केवल वहीं के लिए जरुरी नही है, बल्कि जिस तरह पुरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन हो रहा है, उस पर लगाम लगाने के लिए स्थानीय स्तर पर उठाये गए कदम ही कारगर होंगे. प्रेरणा कला मंच के रंगकर्मियों ने जनगीत सुनाए। आज के इस ज्ञापन कार्यक्रम में मुख्य रूप से फादर आनंद, रवि शेखर, सिस्टर फ्लोरिन, डॉ इंदु पांडे, धनंजय,  नीति, संजीव सिंह, अभिषेक यादव, राजिव नयन, राणा रोहित, विनय , मोहित , सुमन आनंद,वैभव मौर्या, पवन विश्वकर्मा, शंभु सहित बनारस के अन्य लोगों ने हिस्सा लिया।

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