राउरकेला। सेल, राउरकेला इस्पात संयंत्र के सीएसआर विभाग और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला द्वारा संयुक्त रूप से संचालित अपशिष्ट से सम्पदा (वेस्ट टू वेल्थ) कार्यक्रम के अंतर्गत 26 से 28 सितंबर 2024 तक पार्श्वांचल विकास संस्थान, सीएसआर विभाग, सेक्टर-20 में सतत जैविक खेती कार्यशाला का आयोजन किया गया। लाठीकटा प्रखंड के पटुआ, राटोबिरकेरा, कनारसुआँ, टिमजोर गाँवों और नुआगाँव प्रखंड के खैरटोला, बाघडेगा ग्रामों की 50 महिला किसानों ने इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र की अध्यक्षता मुख्य महाप्रबंधक (वित्त एवं प्रशासन), राजेश दासगुप्ता ने की। उनके साथ महाप्रबंधक प्रभारी (सीएसआर), सुश्री मुनमुन मित्रा, एसोसिएट डीन, एनआईटी, राउरकेला, प्रोफेसर राम चंद्र प्रधान, एसोसिएट प्रोफेसर, एनआईटी, राउरकेला, डॉ. दिव्यकांत सेठ और अन्य आयोजकों ने प्रतिभागियों को समापन प्रमाण पत्र सौंपे।
दासगुप्ता ने सभा को संबोधित करते हुए मिट्टी और जल स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए स्थायी आजीविका को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कौशल के साथ महिला किसानों को सशक्त बनाने में सीएसआर विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की प्रशंसा की।
आरंभ में सुश्री मुनमुन मित्रा ने स्वागत भाषण दिया, जबकि परिचयात्मक भाषण प्रो. राम चंद्र प्रधान ने प्रस्तुत किया। डॉ. दिव्यकांत सेठ ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया । पीएचडी स्कॉलर, एनआईटी, राउरकेला, जी के नेहरू और उप प्रबंधक (सीएसआर), सुश्री ऋचा सुद्धिरम ने वरिष्ठ फील्ड सहायक (सीएसआर), बी एक्का के सहयोग से समारोह का समन्वय किया।
इस प्रशिक्षण कार्यशाला के अंतर्गत शामिल विषय थे जैविक खेती की मूल बातें; छत्तु चाष का जैविक तरीका; केंचुआ खाद, केंचुआ खाद, जैविक खाद और जैव कीटनाशकों की तैयारी और मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर किसानों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण। इस पाठ्यक्रम के लिए विशेषज्ञों में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, राउरकेला, ओडिशा के प्रोफेसर और शोधकर्ता; केवीके वैज्ञानिक और जैविक खेती के क्षेत्र में काम करने वाले व्यवसायी शामिल थे। इस पहल का उद्देश्य किसानों के बीच जैविक खेती और जैविक खाद के उपयोग के बारे में समझ विकसित करना है, ताकि भारतीय कृषि पद्धतियों में जैविक खेती की प्रक्रिया को शामिल कर दीर्घकालिक रूपरेखा तैयार की जा सके।