सामाजिक मुद्दों पर सहजता से बात रखने की विधा है कठपुतली : वल्लभाचार्य पाण्डेय 

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आशा ट्रस्ट द्वारा ‘कठपुतली की बात’ कार्यशाला का आयोजन ,45 बच्चे सीख रहे हैं कठपुतली बनाना और चलाना 

कठपुतली कला विलुप्तप्राय है इसका संरक्षण है जरूरी : मिथिलेश दुबे 

चौबेपुर, वाराणसी/ कठपुतली कला को संरक्षित और विकसित करने के उद्देश्य से सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट द्वारा एक अभिनव पहल की गयी है इस क्रम में एक चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन ट्रस्ट के भंदहा कला कैथी स्थित प्रशिक्षण केंद्र पर किया जा रहा है. “कठपुतली की बात” शीर्षक से आयोजित इस कार्यशाला में विभिन्न आशा सामाजिक शिक्षण केंद्रों के कुल 45 बच्चे शामिल हैं.

मुख्य प्रशिक्षक कठपुतली कलाकार एवं क्रिएटिव पपेट आर्ट्स ग्रुप के संयोजक मिथिलेश दुबे ने बताया कि आज कठपुतली कला पूरे विश्व में विलुप्त प्राय है, इसके संरक्षण और प्रोत्साहन की जरूरत है इसी कारण हम लोग यह प्रशिक्षण कर रहे हैं जिससे यह कला अगली पीढ़ी को हस्तांतरित हो सके. 

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि कठपुतली विधा विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर सन्देश प्रसारित करने का सहज और मनोरंजक तरीका है जो कई सदियों से बहुत प्रचलन में रहा है, वर्तमान पीढ़ी इस कला को संरक्षित रखे इसी दिशा में यह कार्यशाला आयोजित की गयी है.

कार्यशाला आयोजन में कठपुतली कलाकार विशाल कुमार विश्वकर्मा के साथ दीन दयाल सिंह, प्रदीप सिंह,  अमित कुमार, सरोज सिंह, रचना देवी, राजेश यादव, अमरेश कुमार, रमेश प्रसाद,  बृजेश प्रसाद, सौरभ आदि का विशेष सहयोग है. 

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