प्रधानमंत्री ने अयोध्या में राम की पैड़ी पर दीपोत्सव-2022’ के अवसर पर दीप प्रज्ज्वलित किया

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दीपोत्सव-2022 में राम की पैड़ी पर 15 लाख 76 हजार दीप प्रज्ज्वलित कर नया कीर्तिमान स्थापित किया गया

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से मुख्यमंत्री को इस कीर्तिमान का प्रमाण-पत्र सौंपा गया, प्रधानमंत्री ने इस विश्व कीर्तिमान के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी

लखनऊ: भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में राम की पैड़ी पर दीपोत्सव के 6वें संस्करण ‘दीपोत्सव-2022’ के अवसर पर दीप प्रज्ज्वलित किया। दीपोत्सव-2022 में राम की पैड़ी पर 15 लाख 76 हजार दीप प्रज्ज्वलित कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया गया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस कीर्तिमान का प्रमाण-पत्र सौंपा गया। प्रधानमंत्री जी ने इस विश्व कीर्तिमान के लिए मुख्यमंत्री जी को बधाई दी। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल , उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं ब्रजेश पाठक, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह अन्य जनप्रतिनिधिगण तथा बड़ी संख्या में संतगण एवं श्रद्धालु उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दीप से दीपावली तक यही भारत का दर्शन है, यही भारत का चिन्तन है, यही भारत की चिरन्तन संस्कृति है। भारत ने आधुनिक काल तक अनेक अन्धकार भरे युगों का सामना किया है। बड़ी-बड़ी सभ्यताओं के सूर्य अस्त हो गए, लेकिन हमारे दीप जलते रहे, क्योंकि हमने दीप जलाना नहीं छोड़ा, हमने विश्वास बढ़ाना नहीं छोड़ा। भारत ने प्रगति के प्रशस्त पथ पर अपने पराक्रम का प्रकाश अतीत में भी बिखेरा है, भविष्य में भी बिखेरेगा।


प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज अयोध्या दीपों से दिव्य, भावनाओं से भव्य है। अयोध्या नगरी भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिम्ब है। उन्होंने कहा कि जब वे भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के लिए अयोध्या आ रहे थे, तब उनके मन में विचार उठ रहे थे कि 14 वर्ष के वनवास के बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या आए होंगे, तब अयोध्या कैसे सजी और संवरी होगी। उन्होंने कहा कि हमने त्रेता युग की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए, लेकिन प्रभु श्रीराम के आशीर्वाद से आज अमृत काल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के साक्षी बन रहे हैं। हम उस संस्कृति और सभ्यता के वाहक हैं, जिनके जीवन का पर्व और उत्सव सहज, स्वाभाविक हिस्सा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे ऋषियों ने भौतिक दीपक में चेतन ऊर्जा के दर्शन करते हुए कहा था कि ‘दीपज्योतिः परब्रह्मः दीपज्योतिः जनार्दनः, दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नमोस्तुते, शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुखं सम्पदां, शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योतिः नमोस्तुति’, दीप ज्योति ब्रह्म का ही स्वरूप है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह आध्यात्मिक प्रकाश भारत की प्रगति तथा भारत के पुनरुत्थान का पथ प्रदर्शन करेगा। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है कि ‘जगत प्रकास्य प्रकासक रामू’ अर्थात भगवान श्रीराम पूरे विश्व को प्रकाश देने वाले हैं। पूरे विश्व के लिए ज्योति पुंज की तरह हैं। यह दया और करुणा, मानवता और मर्यादा, समभाव और ममभाव, सत्य का प्रकाश है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने गुजराती में एक कविता लिखी थी, जिसका शीर्षक ‘दीया’ था। उन्होंने लिखा था दीया आशा भी देता है, दीया ऊष्मा भी देता है, दीया आग भी देता है, दीया आराम भी देता है। उगते सूरज को हर कोई पूजता है, लेकिन दीया अन्धेरी शाम में भी साथ देता है। दीया स्वयं जलता है और अन्धेरे को भी जलाता है। दीया मनुष्य के मन मेें समर्पण का भाव लाता है। हम स्वयं जलते हैं, स्वयं तपते हैं, स्वयं खपते हैं, लेकिन जब सिद्धि का प्रकाश उत्पन्न होता है, तो हम उसे निष्काम भाव से पूरे संसार के लिए बिखेर देते हैं। जब हम स्वार्थ से उठकर परमार्थ की यात्रा करते हैं, तो उसमें सर्वसमावेश का संकल्प अपने आप समाहित हो जाता है।
कार्यक्रम के दौरान राम की पैड़ी पर 3-डी होलोग्राफिक शो, प्रोजेक्शन मैपिंग तथा रामायण पर आधारित लेजर-शो का भव्य आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर दिव्य व नयनाभिराम आतिशबाजी की गई। प्रधानमंत्री जी, राज्यपाल जी, मुख्यमंत्री जी, अन्य जनप्रतिनिधिगण सहित सभी श्रद्धालुओं ने इस कार्यक्रम का आनन्द उठाया।
इससे पूर्व, प्रधानमंत्री ने अयोध्या में नया घाट पर सरयू जी की आरती एवं पूजन किया।
प्रधानमंत्री जी ने अयोध्या आगमन के तत्काल बाद श्रीरामलला विराजमान का दर्शन-पूजन किया। इसके उपरान्त उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का निरीक्षण भी किया। इस अवसर पर राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री भी उपस्थित रहे।

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