प्यार स्वीकृत अधिकार और सम्मान के लिए बनारस में प्राइड मार्च 

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#बनारस क्वीयर प्राइड परेड में 300 लोग हुए शामिल। 

वाराणसी / एलजीबीटी प्लस समुदाय ने  बनारस में 2023 क्वीर प्राइड परेड निकाली। मार्च गुलाबबाग सिगरा से शुरू होकर स्टेडियम से यू टर्न लेकर साजन सिनेमा चौराहा होते हुए वापस गुलाबबाग पार्क पर समाप्त हुआ। 

2019 ट्रांसजेंडर एक्ट आने के बाद और सुप्रीम कोर्ट में एलजीबीटी समुदाय के बीच संबंधों को लेकर हो रही सुनवाई के बीच बनारस में हुआ यह आयोजन शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है। 

नाचते गाते प्यार हुआ, इकरार हुआ गे हुआ तो क्या हुआ, लव इज लव, नारे लगाते क्वीयर समुदाय के लोग गुलाबबाग पार्क पर इकठ्ठा होकर आईपी विजया मॉल मार्ग से होते हुए साजन सिनेमा चौराहे , सम्पूर्णानन्द खेल स्टेडियम वापस गुलाब बाग पार्क में पंहुचकर सभा में तब्दील हुए। 

प्राइड परेड का हिस्सा बने बीएचयू छात्र परीक्षित ने बताया की ये परेड वास्तव में गौरव यात्रा है मेरे लिए। आमतौर पर एलजीबीटी समुदाय से होने का मतलब शर्म और छिपना होता है। आप अपने परिवार दोस्तों रिश्तेदारों  किसी को बता तक नहीं सकते, सामने आना और वैसे ही दिखना जैसे अंदर से मन कर रहा है ये मेरे लिए एक गौरव का पल है।

बनारस में ये आयोजन क्यों पूछने पर विद्यापीठ समाजकार्य छात्रा शिवांगी ने बताया की बनारस ‘ सात वार नौ त्यौहार ‘ के लिए जाना जाने वाला अलमस्त शहर है। इस सूचि में अब एलजीबीटी समुदाय का भी एक त्यौहार जुड़ गया , मान लीजिए। अगर गंभीरता से पूछ रहे हैं, तो बनारस भारत की सांस्कृतिक राजधानी कही जाती है। अपना शहर हमेशा से धार्मिक और सामाजिक मोर्चे पर सचेत शहर रहा है सोचने विचारने में खुलापन, ताज़गी और जिंदादिली यंहा की जीवनशैली रही है। ऐसे में जीवन जीने के तरीके के रूप में एलजीबीटी समुदाय अपने चॉयस की यौनिकता , अपने तरह की वेशभूषा रखना चाहता है तो इस बातचीत के लिए, बनारस से मुफीद जगह कौन होगी भला ?

इन बातों के बीच भारी संख्या में अलग-अलग वेशभूषा में लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग प्रेम और शांति के साथ मार्च में चलते रहे। सामाजिक कार्यकर्ता नीति ने बताया कि भारतीय संविधान में आर्टिकल 14 से 21 में जीवन, स्वतंत्रता, गरिमा, अभिव्यक्ति, खानपान, पहनावे, धर्म, स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन साथी आदि चुन पाने की आजादी हर भारतीय नागरिक को है। हम तो उतना ही मांग रहें है जितने का भारत का संविधान वायदा करता है।  

प्राइड का का क्या कोई इतिहास भी है क्या पूछने पर दिल्ली से बनारस प्राइड में शामिल होने आए दलित एलजीबीटी कार्यकर्ता कबीर मान ने कहा की 28 जून, 1969 को न्यूयॉर्क में पुलिस ने ग्रीनविच विलेज के एक समलैंगिक क्लब पर छापा मारा, लोगों का उत्पीड़न किया गया । प्रतिक्रिया में वहां हिंसा और अराजकता फैल गई। इसके क्रम में विरोध प्रदर्शनों की श्रृंखला बनती गई। अश्वेत, ट्रांस, बायसेक्शुअल महिला आदि विरोध प्रदर्शनों में शामिल होते गए। और ये संघर्ष अगले कुछ दिनों तक जारी रहा। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि एलजीबीटी लोगों के लिए सार्वजनिक स्थान पर जगह मुहैया कराई जाए। जहां वे निडर होकर अपने सेक्सुअल ओरियंटेशन के बारे में खुल के बात कर सकें। इस मांग के समर्थन में सार्वजनिक स्थान पर जुटने को प्राइड कहा जाने लगा। उसी संघर्ष की स्मृति में और उसी ऊर्जा को बनाए रखने के लिए दुनिया भर में प्राईड शीर्षक से कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

आज के प्राइड यात्रा में मुख्य रूप से नीति, शिवांगी, दीक्षा, अनुज, धनंजय, अनन्या, अश्विनी, उत्कर्ष, रणधीर, अबीर, कबीर, परीक्षित, आर्या, आयुष, वैभव, साहिल, पीयूष, विजेता, शालिनी, मूसा आज़मी, संजू, रागिनी, सोना, कहकशा, शुभम आदि शामिल रहे। 

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