सकलडीहा से प्रभु नारायण सिंह यादव बने विधायक

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नहीं बनी सपा की सरकार, ग्रामीणों के बीच चर्चाओं का बाजार गर्म 

चंदौली। सकलडीहा विधानसभा में  जनता के बीच एक  बात की काफी चर्चित है कि जब भी प्रभु नारायण सिंह यादव विधानसभा का चुनाव जीतते हैं तो उनकी पार्टी की सरकार नहीं बनती है। यह कहावत एक बार फिर से चरितार्थ हो गयी है। चंदौली जिले में मतदाताओं ने एक बार फिर से प्रभु नारायण सिंह यादव को सकलडीहा विधानसभा क्षेत्र से विधायक तो बना दिया, लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता ने समाजवादी पार्टी को इतनी सीटें नहीं दीं, जिससे कि समाजवादी पार्टी की सरकार बन जाती। इसीलिए चंदौली जिले में यह चर्चा एक बार फिर से शुरू हो गई कि जब-जब प्रभु नारायण सिंह यादव विधानसभा का चुनाव जीते हैं, तब-तब समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं बन पाती है।
आपको बता दें समाजवादी पार्टी के टिकट पर प्रभु नारायण सिंह यादव 1996 में पहली बार विधायक बने थे और उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के ज्ञानेंद्र कुमार को 13,828 वोट से हराकर विधानसभा में एंट्री की थी। उस समय बसपा की सरकार बनी थी और मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं। उसके बाद 2002 के चुनाव में उन्होंने एक बार फिर धानापुर विधानसभा से सुशील सिंह को कांटे की टक्कर में मात्र 26 वोटों से हराकर लगातार दूसरी बार विधायक बनने का गौरव हासिल किया। तब भी 2002 में मायावती मुख्यमंत्री बनी थीं, लेकिन नाटकीय घटनाक्रम के बाद बसपा में बगावत व दल बदल के जरिए मुलायम सिंह 2003 में मुख्यमंत्री बन गए थे और 2007 तक सत्ता संभाली थी।
हालांकि इसके बाद विधायक सुशील सिंह ने लगातार दो चुनाव उनके खिलाफ लड़ते हुए उनको करारी शिकस्त दी। प्रभु नारायण सिंह यादव 2007 और 2012 का चुनाव सुशील सिंह से हारे। जब वह 2012 में हारे तो 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार भी बनी। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में जब प्रभु नारायण सिंह यादव सकलडीहा के विधायक बने तो उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई। एक बार फिर 2022 में चंदौली जिले से सर्वाधिक मतों से विधायक बनने का गौरव हासिल करने जा रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार नहीं बन रही है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने बहुमत से अधिक सीटें हासिल कर ली हैं।

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