वाराणसी/ ‘‘वाल्मीकि रामायण : ऐतिहासिक व वैज्ञानिक पुनरावलोकन’’ विषयक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन केन्द्र के सभागार में किया गया है। कार्यक्रम का प्रारम्भ महामना मालवीय जी के प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं वैदिक मंगलाचरण से किया गया। इस व्याख्यान विषय स्थापना क्रम में केन्द्र के समन्वयक प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने सभी आमंत्रित अतिथियों एवं छात्र-छात्राओं का स्वागत करते हुए कहा कि आज का दिन भारत के लिए विशेष दिन है, जिसे भारत का प्रत्येक नागरिक एक त्यौहार के रूप में मना रहा है। भगवान् राम का चरित्र सभी भारतवासियां के लिए अनुकरणीय है तथा आज के व्याख्यान में श्रोताओं को रामायण के कुछ ऐतिहासिक एवं वैज्ञानिक पहलुओं को जानने का अवसर प्राप्त होगा।
इस कार्यक्रम के विशिष्ट वक्ता प्रो0 देवेन्द्र मोहन, आचार्य एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग विभाग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), वाराणसी ने कहा कि भगवान् राम के जीवन चरित्र पर वाल्मीकि द्वारा लिखित रामायण मानव सभ्यता, संस्कृति और धर्म से संबंधित ऐतिहासिक महत्व का प्रमुख ग्रन्थ है। भारत में समाज का विकास इस महान स्रोत में निहित मानवीय-मूल्य-प्रणाली की सकारात्मकता के साथ हुआ है। वर्तमान में भी, अनेक ऐतिहासिक महत्व की घटनाओं के स्पष्ट या सांकेतिक चिह्न देखे जा सकते हैं और इनमें से अधिकांश को वैज्ञानिक प्रमाणों के साथ और स्पष्ट ढंग से समझा जा सकता है, जिनमें से कई प्रमाण भूवैज्ञानिक और भूभौतिकी को नियोजित करके किए गए हैं। इस हेतु रेडियो-कार्बन-डेटिंग, ब्रह्माण्ड संबंधी (खगोलीय) और अन्य तकनीकें भी प्रयुक्त हो चुकी हैं। इनमें से अनेक तकनीकों का उपयोग राम सेतु की संरचना और निर्माण के समय तथा प्रकार को समझने के साथ-साथ कई अन्य स्थानों के लिए भी किया गया है, जिनका वाल्मीकीय रामायण में उल्लेख है और जो वर्तमान समय में भी भारत, नेपाल और श्रीलंका में उपस्थित हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो0 हृदय रंजन शर्मा, मानोन्नत आचार्य, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने कहा कि इस तरह के व्याख्यान भारत के प्रत्येक जनमानस को प्रेरणा देने वाले तथा ये बताते है कि मनुष्य को कभी भी विकट परिस्थितियों में हिम्मत नहीं हारना चाहिए; क्यांकि अन्ततः सत्य की ही विजय होती है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप में प्रो0 हरिहृदय अवस्थी, प्रो0 मृत्युंजय देव पाण्डेय, प्रो0 श्रवण कुमार शुक्ला, केदार तिवारी, पवन कुमार मिश्रा, विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागां के शोधच्छात्रगण, आई.आई.अी. बी.एच.यू. के छात्रगण, केन्द्र के डिप्लोमा पाठ्यक्रमां के छात्रगत तथा केन्द्र के कर्मचारीगण उपस्थित थे।