*राष्ट्रीय अंगदान दिवस पर आयोजित हुई गोष्ठी**लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी*
वाराणसी। राष्ट्रीय अंग दान दिवस पर रविवार को सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार मुख्य चिकित्सा अधिकारी के सभागार में जन जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी में अंगदान के उद्देश्य और उसके महत्व के बारे में विस्तार से मुख्य वक्ता नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील शाह एवं नेफ्रोलॉजी विभाग बीएचयू के डॉ निखिल ने जानकारी दी तथा अंगदान करने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस अवसर पर सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि अंग दान महान दान माना जाता है. अगर किसी की मौत किसी दूसरे के जीवनदान की वजह बन जाए तो इससे अच्छा क्या हो सकता है। हर साल 27 नवंबर को अंग दान के महत्व, जागरूकता बढ़ाने और अंगदान से संबंधित भ्रांतियों को दूर करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है । उन्होंने कहा कि असामयिक मृत्यु के बाद अपने स्वस्थ अंगों को दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए जिससे जरूरतमंद लोगों की जान बचाई जा सके।
डा. निखिल ने बताया कि भारत में जीवित और मृत लोग कानूनी तरीके से अंग दान कर सकते हैं। देश में हर साल 1.5 लाख किडनी की जरूरत पड़ती है, जबकि तीन हजार ही मिल पाती हैं । करीब 25 हजार नए लीवर की एवज में सिर्फ 800 ही मुहैया हो पाते हैं। वहीं 60 लाख नेत्रहीन लोगों को आंखों की जरूरत है लेकिन लगभग 22,000 लोग ही देख पाते हैं। यह जानकर हैरानी हो सकती है कि सबसे ज्यादा आबादी के मामले में दूसरे नंबर पर आने वाले भारत में केवल 0.1% लोग ही खुद को अंगदान के लिए पंजीकरण करते हैं । इससे अंगदान की जरूरत को समझा जा सकता है।
डा. सुनील शाह ने कहा कि स्वस्थ व्यक्ति मृत्यु के पश्चात अपने अंगों का दान कर अधिक से अधिक लोगों की जान बचा सकता है। इसमें किडनी, हृदय, आंखें, अग्नाशय, फेफड़े आदि महत्वपूर्ण अंगों का दान किया जाता है। इससे उन लोगों को अभयदान मिलता है, जिन्हें स्वस्थ अंग की जरूरत रहती है। भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय की मानें तो 65 वर्ष की आयु तक व्यक्ति अंगदान कर सकता है। आइए हम सब मिलकर’ अंग दान कर लोगों की जान बचाने का संकल्प लें’ तथा लोगों को जागरूक करने का प्रयास करें।। इस दौरान एसीएमओ डॉ राजेश प्रसाद ने कहा कि अंग दान दिवस मनाने का उद्देश्य घायल और गंभीर रूप से बीमार जिन्हें अंग की जरूरत है, को अंगदान कर लोगों की जान बचाना है। चिकित्सा विज्ञान ने अंगदान के क्षेत्र में सुधार कर सभी मिथकों को समाप्त कर दिया है। अब किसी भी उम्र का व्यक्ति अपने अंगों का दान कर सकता है। मृत्यु उपरांत व्यक्ति के स्वस्थ अंगों से कई लोगों को अभयदान प्राप्त होता है।
*कौन कर सकता है अंगदान*
ऐसे व्यक्ति जो एचआईवी, कैंसर, या हृदय और फेफड़ों की बीमारी जैसी किसी पुरानी बीमारी से पीड़ित नहीं है, अपनी उम्र, जाति और धर्म से ऊपर उठकर अपनी मर्जी से अंग दान कर सकता है। एक व्यक्ति 18 वर्ष की आयु के बाद अंग दान कर सकता है।
इस अवसर पर एसीएमओ डॉ एके मौर्य, डॉ निकुंज कुमार वर्मा सहित चिकित्सा अधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी एवं अन्य लोग उपस्थित रहे।