पंछियों को बचाने के प्रति किसी ने प्रयास नहीं किया

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[पक्षी प्रेमी डॉ सलीम अली के जन्मदिन पर विशेष ]

*राष्ट्रीय पक्षी दिवस(12 नवंबर)*

*-मनोज कौशल*सलयां,चन्दौली(उ0प्र0)

चंदौली । पक्षी पर्यावरण और प्रकृति सबसे सुंदर और अलौकिक जीव हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण दूरसंचार के कारण पंछियों की संख्या में लगातार कमी हुई है जिससे गौरैया कबूतर तोते और अन्य जीव जंतु नहीं दिखाई देते हैं।गौरैया की कमी तो हर किसी को दिख रहा है लेकिन पंछियों को बचाने के प्रति किसी ने प्रयास नहीं किया।भारत में 12 नवम्बर को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पक्षी दिवस के रूप में मनाया जाता है। पक्षियों से प्रेम करने एवं उनके प्रजातियों के बारे में जानकारी रखने वाले प्रमुख पक्षी प्रेमी एवं वैज्ञानिक डॉक्टर सलीम अली के जन्मदिन को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पक्षी दिवस के रूप में घोषित किया गया है। इसके पीछे भारत सरकार की मंशा रही है कि सलीम अली विश्व प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी एवं प्रकृति वादी थे,उन्होंने बॉम्बे से”नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी”(बी एन एच एस) से पक्षियों पर अपना विशेष अध्ययन शुरू किया और बाद में उन्होंने अपना अलग ढंग एवं अलग रंग के गौरैया की पहचान की।डॉक्टर सलीम अली के अंदर पक्षियों के रंग एवं उनको नजदीक से समझने का जो सलीका था,वह किसी और के अंदर नहीं था क्योंकि वे प्रकृति प्रेमी थे उनके नाम पर”बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी”और “पर्यावरण एवं वन मंत्रालय”द्वारा कोयंबटूर के निकट अनाईकट्टी नामक स्थान पर सलीम अली पक्षी विज्ञान प्राकृतिक इतिहास केंद्र स्थापित किया गया।सलीम अली को भारत में पक्षी मानव के रूप में जाना जाता है पक्षियों से संबंधित उनकी अनेकों पुस्तकें हैं जिनमें सबसे लोकप्रिय पुस्तक है “वर्ड्स आफ इंडिया”दिल्ली एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने उन्हें डॉक्टरेट की मानद उपाधि से अलंकृत किया।

डॉक्टर सलीम अली को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1958 में पद्म भूषण एवं सन 1976 में पद्म विभूषण से नवाजा गया।एक भारतीय होने के नाते हम सभी को गर्व होता है कि हमारे देश में ऐसे भी महामानव और महान व्यक्तित्व के धनी पैदा हुए जिनके अंदर बहुमुखी प्रतिभा है।जिनके अंदर प्रकृति को प्रेम करने की प्रतिभा है,प्रकृति को समझने का बखूबी ज्ञान है।

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाने के पीछे पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों को जानना एवं प्रकृति संरक्षण के क्षेत्र में पक्षियों के योगदान को समझने का प्रयास करना एवं लोगों को उसकी जानकारी देना है।सभी को अवगत हो कि देश में पक्षियों की लगभग 10000 से भी अधिक प्रजातियां हैं।जिनके बारे में जानने और समझने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है भारत सरकार की यह प्रमुख अवधारणा है कि आम जनमानस भी पक्षियों के प्रमुख प्रजातियों को जाने एवं उनको समझे एवं उनसे प्रेम करें तभी प्रकृति के प्रति संरक्षण की अवधारणा मन मस्तिष्क में जागृत होगी। बोर्न फ्री यूएसए के आंकड़े के अनुसार लगभग 12 प्रतिशत पक्षियों की संख्या विलुप्त होने के कगार पर है जिसके पीछे वर्तमान समय में कल-कारखाने चिमनियों से निकलने वाले धुएं और तमाम इलेक्ट्रानिक्स तरंगे आदि प्रमुख कारण हैं,जो कि भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है इसको भी लोगों को समझना पड़ेगा तभी हम पक्षियों की देखभाल एवं संरक्षण कर सकते हैं।आम जनमानस को चाहिए कि अपने घरों,छप्पर,छतों एवं आंगन में किसी बर्तन में पंछियों के लिए पानी,दाने एवं उन्हें कुछ खाने की वस्तुएं रख दे,जिससे पंछियों को अन्य देशों में प्रवास ना करना पड़े।आपको पता हो कि एक जमाना था जब चिड़ियां और कौवे घर के मुंडेर पर  चिं-चिं,चु-चु ,कांव-कावं किया करते थे,इतना शोर होता था कि,लोगों को परेशान होकर उन्हें भगाना पड़ता था और आज वर्तमान में स्थिति यह है कि वे पंछी आज मुंडेर तक दिखाई नहीं देते।भागदौड़ भरी जिंदगी में हर किसी को प्रकृति के संरक्षण हेतु पक्षियों के प्रेम को भी समझाना पड़ेगा तभी हम खुशहाल जिंदगी जी सकते हैं। प्रकृति संरक्षण एवं पक्षी संरक्षण द्वारा ही हम सभी का भविष्य संभव है,ये हर किसी को समझना होगा।

(लेख में तथ्य अन्य से वर्णित है,लेख सम्बन्धी विचार लेखक का स्वयं है!)

*लेख पर सुझाव एवं प्रतिक्रिया इस पते पर दें-* ईमेल:mkaushal210@gmail.com संपर्क:9889159783

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