प्रयागराज। एनटीपीसी ऊंचाहार ने अपने बालिका सशक्तिकरण अभियान कार्यक्रम के तहत एक विशेष सत्र का आयोजन किया, जिसमें प्रसिद्ध पर्वतारोही पूर्णा मालावत ने शिरकत की। कार्यक्रम में 120 प्रतिभागी बच्चियों ने भाग लिया और पूर्णा मालावत से प्रेरणा प्राप्त की। पूर्णा मालावत, जो विश्व की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही हैं जिन्होंने माउंट एवरेस्ट फतह किया है, ने अपने अनुभव साझा किए और बच्चियों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने अपनी संघर्ष की कहानी बताते हुए बच्चियों को बताया कि कैसे दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। इस अवसर पर परियोजना प्रमुख मनदीप सिंह छाबड़ा ने बालिका सशक्तिकरण अभियान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह कार्यक्रम हमारे समाज की बच्चियों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें गर्व है कि हम पूर्णा मालावत जैसी प्रेरणादायक व्यक्तित्व को अपने बीच पाकर बच्चियों को प्रेरित कर पा रहे हैं। हमारी इच्छा है कि हमारे कार्यक्रम की प्रतिभागी बच्चियां पूर्णा से प्रभावित होकर अपने सपनों को पूरा करें।
पूर्णा ने प्रतिभागी बच्चियों से संवाद करते हुए कहा, “आप सभी में वह शक्ति और क्षमता है कि आप अपने सपनों को साकार कर सकें। सबसे महत्वपूर्ण है कि आप अपने अंदर विश्वास रखें और किसी भी स्थिति में हार न मानें।” उन्होंने बच्चियों को बताया कि चुनौतियों का सामना करने का साहस और आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है। इस अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में बच्चियों ने पूर्णा से उनके पर्वतारोहण के अनुभवों, चुनौतियों और तैयारियों के बारे में सवाल पूछे। पूर्णा ने सभी सवालों का उत्तर बड़े ही सरल और उत्साहवर्धक ढंग से दिया, जिससे बच्चियों को नई ऊर्जा और प्रेरणा मिली।
उल्लेखनीय है कि पूर्णा मलावत एक पर्वतारोही हैं। पूर्णा ने सात महाद्वीपों के सात सबसे ऊंचे पहाड़ों पर चढ़कर इतिहास बनाया है। लंबे समय तक पूर्णा ‘सेवन कॉन्टीनेंट्स, सेवन हाइएस्ट पीक्स’ के मिशन पर रही हैं। पूर्णा के जीवन पर आधारित एक फिल्म 2017 में रिलीज़ हुई थी, जिसका नाम ‘पूर्णा: करेज हैज़ नो लिमिट’ है। राहुल बोस ने फ़िल्म का निर्देशन किया था। 2020 में पूर्णा को फोर्ब्स इंडिया की सेल्फ़-मेड महिलाओं की सूची में भी शामिल किया गया था।