(श्री राम कथा का पांचवा दिन)
प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहा है… भजन पर झूम उठे श्रद्धालु
नौगढ़। दुर्गा मंदिर पोखरे पर चल चल रही श्री राम कथा के पांचवें दिन प्रभु आपकी कृपा से सब काम हो रहा है… के भजन पर श्रद्धालु झूम उठे। कथा वाचिका मानस मयूरी शालिनी त्रिपाठी ने कहा कि गंगा में स्नान से शुद्धि होगी या नहीं, इसमें संदेह हो सकता है। लेकिन श्री राम कथा में जो मनुष्य डुबकी लगा लेता है, उसका उद्धार निश्चित है। व्यास पीठ की मुख्य यजमान शिवनारायण जायसवाल, सीओ कृष्ण मुरारी शर्मा, थाना प्रभारी अतुल प्रजापति ने आरती उतारी। कथा वाचिका ने अपने मधुर कंठ से प्रभु श्री राम के बाल लीला का सुंदर चित्रण करते हुए कहा कि जब श्रीराम ने दशरथ नंदन के रूप में कौशिल्या की कोख से जन्म लिया तो, दासियां दौड़ पड़ी, अयोध्या सजने लगी, जन-जन में उत्साह छा गया। भगवान के 16 संस्कार के साथ मुनि वशिष्ठ ने चारों भाइयों का नामकरण संस्कार कराया। श्रीरामलला के दर्शन के लिए भोले भंडारी सहित विभिन्न देवता अवध में आए। बताया कि ब्रह्मा आदि देवता तो भगवान का दर्शन. स्तुति कर वापस लौट गए, किंतु शंकर जी का मन अपने आराध्य श्रीराम की शिशु क्रीड़ा की झांकी में ऐसा उलझा कि वे अवध की गलियों में विविध वेष बनाकर घूमने लगे। कभी वे राजा दशरथ के राजद्वार पर भिक्षा मांगने वाले साधु के रूप में उपस्थित हो जाते थे।
कभी भगवान के अवतारों की कथा सुनाने के बहाने प्रकांड विद्वान बनकर राजमहल में पहुंच जाते। वे कागभुशुंडि के साथ बहुत समय तक अयोध्या की गलियों में घूमते हुए एक दिन शंकर जी कागभुशुंडि को बालक बनाकर और स्वयं त्रिकालदर्शी वृद्ध ज्योतिषी का वेष धारणकर शिशुओं का फलादेश बताने के बहाने अयोध्या के निवास में प्रवेश कर गए। माता कौशल्या ने जैसे ही शिशु श्रीराम को ज्योतिषी की गोद में बिठाया तो शंकरजी का रोम-रोम पुलकित हो उठा। वे बालक का हाथ देखने के बहाने कभी उनके कोमल कर कमलों को सहलाते तो कभी अपनी जटाओं से उनके रक्ताभ तलवों को थपथपाते और देवताओं के लिए भी दुर्लभ उन चरण कमलों का दर्शन कर परमानंद में निमग्न हो जाते। श्रीराम कथा में दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष पंकज जायसवाल, राजू पांडे, मोहन साहेब, विक्रम सिंह, दीपक गुप्ता, सत्यनारायण यादव, शंकर सोनी, मुकुंद केसरी, सोनू जायसवाल समेत काफी श्रद्धालु मौजूद रहे।