साहित्यकार डॉ० विजयानन्द आज लखनऊ में पुरस्कृत

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प्रयागराज।[ मनोज पांडेय] राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान, विधानसभा, लखनऊ की ओर से पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता, पद्मश्री डॉ० विद्याबिंदु सिंह के मुख्यआतिथ्य एवं प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह, हिंदी विभागाध्यक्ष- लखनऊ विश्वविद्यालय के विशेष आतिथ्य में प्रयागराज के चर्चित साहित्यकार डॉ. विजयानन्द को उनकी बहुमुखी साहित्य साधना के लिए ओमप्रकाश चतुर्वेदी ‘पराग’ पुरस्कार से भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय, लखनऊ के सभागार में सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संयोजन महामंत्री डॉ०दिनेशचंद्र अवस्थी ने किया।
उल्लेख्य है कि साहित्यकार विजयानन्द प्रयागराज के हवेलिया, झूंसी में रहकर साहित्य साधनारत हैं। इनका प्रथम काव्य संग्रह सन् १९८५ ई० में “संबोधन” नाम से प्रकाशित हुआ था और तभी से वे हिंदी साहित्य की अनवरत सेवा में संलग्न हैं। प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. जगदीश गुप्त ने अपनी “त्रयी” पत्रिका में इन्हें सहयोगी संपादक बनाया था। आपका ९० वर्षीय स्वाधीनता आंदोलन पर आधारित “समर भूमि” महाकाव्य भी खूब चर्चा में रहा। अब तक हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में इनकी मौलिक, अनुदित तथा संपादित लगभग ८१ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्हें उत्कृष्ट लेखन के लिए वर्ष २००२ में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा “मोहन राकेश नाटक पुरस्कार”, वर्ष २०१४ ई० में “बाल साहित्य सम्मान”, हिंदुस्तानी एकेडेमी के भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान २०२० ई० तथा हिंदी अकादमी, मुंबई के शिक्षा रत्न सम्मान २०२१ से पुरस्कृत तथा देश-विदेश की अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। संप्रति आप भारतीय संस्कृति एवं साहित्य संस्थान, प्रयागराज के अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय हिन्दी महासभा, विश्व हिंदी महासभा, नई दिल्ली के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

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