लखनऊ,/ उत्तर प्रदेश सरकार ने आज मछुआ समुदाय के आर्थिक उत्थान और रोजगार सृजन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया। मत्स्य विभाग द्वारा बहुउद्देशीय नई मत्स्य जीवी सहकारी समितियों के गठन के लिए ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ किया गया, जिसका उद्घाटन कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने किया। इस पोर्टल के जरिए मछुआरों को सहकारी समितियों में शामिल होने और रोजगार के नए अवसर प्राप्त करने का सुनहरा मौका मिलेगा। इस कदम से समिति गठन की प्रक्रिया को पूरी तरह से ऑनलाइन और पारदर्शी बनाया गया है, जिससे समिति गठन में अनावश्यक विवाद और विलंब से बचा जा सकेगा।
इस नई व्यवस्था के तहत, मछुआ समुदाय के लोग अब ऑनलाइन आवेदन कर समितियों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकेंगे। मत्स्य पालन, मत्स्य उत्पादन और मत्स्य विपणन की संभावनाओं के आधार पर समितियों का गठन किया जाएगा। फिलहाल प्रदेश में 1135 समितियां सक्रिय हैं, और इस नई योजना के तहत 565 नई समितियों के गठन का लक्ष्य रखा गया है, जिससे लगभग 16,000 मछुआरों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। प्रत्येक न्याय पंचायत में एक समिति गठित करने की योजना है, जो मछुआ समुदाय के आर्थिक और सामाजिक विकास को गति देगी।
समिति गठन की प्रक्रिया में न्यूनतम 27 सदस्यों की आवश्यकता होगी, जिसमें अनुसूचित जाति के तीन सदस्य और छह महिलाएं अनिवार्य रूप से शामिल होंगी। समिति के सदस्य बनने के लिए मछुआरों का सक्रिय रूप से मत्स्य पालन या मछली पकड़ने के कार्य में संलग्न होना आवश्यक होगा। आवेदन करने वाले सभी सदस्यों को आधार कार्ड और मोबाइल नंबर प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। इस प्रक्रिया में आवेदन के 30 दिनों के भीतर सभी आवश्यक दस्तावेजों को पोर्टल पर अपलोड करना होगा, अन्यथा आवेदन निरस्त किया जा सकता है।
डॉ. संजय कुमार निषाद ने अपने संबोधन में कहा कि यह पहल मछुआ समुदाय को सशक्त बनाने और उन्हें नए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत समितियों को स्वायत्तता मिलेगी और उन्हें विभिन्न गतिविधियों में भाग लेने के अवसर प्राप्त होंगे, जिससे उनका आर्थिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित होगा। इसके साथ ही उन्होंने “निषाद राज बोट सब्सिडी योजना” के बारे में भी जानकारी दी, जिसके तहत अब मत्स्य जीवी सहकारी समितियों और उनके सदस्यों को भी लाभ मिलेगा।
इस कार्यक्रम के दौरान विभागीय जलाशयों के ठेका/पट्टा की नीलामी प्रक्रिया में सुधार की भी घोषणा की गई। इसके तहत समितियों के लिए पहले आवश्यक हैसियत प्रमाण पत्र की अनिवार्यता को समाप्त कर, अब धनात्मक संतुलन पत्र और न्यूनतम 50% एफडीआर के आधार पर नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने की सुविधा दी जाएगी। इसके साथ ही “सघन मत्स्य पालन एयरेशन सिस्टम” योजना के अंतर्गत महिला पट्टा धारकों को वरीयता देने का प्रावधान किया गया है, जिससे महिलाओं को भी अधिक रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
मछुआ परिवारों के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए “उत्तर प्रदेश मत्स्य पालक कल्याण कोष योजना” के तहत छात्रों को शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा दी जाएगी। इस पहल से मछुआ परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा के अवसर मिलेंगे, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होगा। इस अवसर पर मंत्री डॉ. संजय कुमार निषाद ने कहा कि इस ऑनलाइन पोर्टल से न केवल मछुआ समुदाय को सशक्त किया जाएगा, बल्कि राज्य के आर्थिक विकास में भी योगदान मिलेगा। उन्होंने इस पहल को मछुआरों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने और उन्हें स्व-रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।