साहित्यकार ‘कुंठित’ और ‘वियोगी’ के साथ विरही हुए सम्मानित
साहित्यकार छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’, योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी ‘वियोगी’ एवं डॉक्टर लियाकत अली हुए सम्मानित
वाराणसी। नगर से लेकर देश-विदेश तक बेहतर साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों को निरंतर करती हुई समाज सेवा व साहित्य सेवा को नई ऊंचाइयों तक ले गई संस्था ‘उद्गार’ ने अपनी आम सभा की बैठक में अपने प्रबंधन व कार्यकारिणी से जुड़े और पूर्व चयनित तीन सदस्यों का सम्मान किया। इसमें वर्तमान प्रबंधक छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’, वर्तमान साहित्य प्रकोष्ठ के अध्यक्ष योगेंद्र नारायण चतुर्वेदी ‘वियोगी’ एवं उपाध्यक्ष लियाकत अली को ‘कविवर सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
उक्त कवियों को विगत पांच सालों तक अथक प्रयास व अतुलनीय योगदान के लिये यह सम्मान दिनांक 07 अगस्त 2022 को संगठन की आमसभा व कार्यकारिणी की संयुक्त रूप से हुई बैठक में राजकीय जिला पुस्तकालय वाराणसी के पुस्तकालयाध्यक्ष कंचन सिंह परिहार एवं ‘उद्गार’ की ओर से कोषाध्यक्ष व प्रवक्ता हर्षवर्धन ममगाई, सामाजिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष चन्द्रप्रकाश सिंह द्वारा विशेष आदर स्वरूप दिया गया।
उल्लेखनीय है कि लगभग एक दशक की अपनी सेवा में ‘उद्गार’ संगठन ने अनेक साहित्यिक व सामाजिक कार्य किया है। उसमें वृक्षारोपण, साझा संकलन का प्रकाशन, साहित्यिक गोष्ठियों का क्रियान्वयन, कविता और कथा आदि लेखन का प्रशिक्षण एवं विभिन्न समाज हितैषी सामाजिक एवं आर्थिक प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं शिविरों का आयोजन प्रमुख है। संस्था की ओर से साहित्यिक व सामाजिक कार्य करने वालों के लिए कई सारे सामानों का आरंभ व संचालन भी किया जाता रहा है।
आम सभा की विगत दिनो हुई बैठक में यह पाया गया था कि अनेकानेक रचनात्मक प्रयासों से उक्त तीनों साहित्यकार सदस्यों ने संस्था को व संस्था की सेवाओं को एक ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इसी कार्य के सापेक्ष अपने आभार को व्यक्त करने के लिए संस्था द्वारा आयोजित एक विशेष बैठक में कवि कुंठित, कवि ‘वियोगी’ एवं कवि ‘विरही’ को सम्मानित किया गया।
सभा में अध्यक्षीय संबोधन में कंचन सिंह परिहार ने ‘उद्गार’ की निरन्तर साहित्यिक सेवा ऐसे ही लगातार चालू रखने की आाश बधाई। वहीं घन्यवाद संबोधन में प्रवक्ता श्री ममगाई ने उक्त तीनों साहित्यकारों के सम्मान को काशी की असली साहित्यिक परम्परा के सतम्भों का सम्मान होना बताया। और साधारण सभा का आभार जताते हुये अपने निजी जीवन में भी इनके योगदान व इनसे मिली प्रेरणा पर भी चर्चा की।
उक्त सामयिक आयोजन, कवि गोष्ठी व आमसभा की बैठक में उपस्थित साहित्यकारों और सदस्यों में उक्त तीन सम्मानित कवियों के साथ साथ कवि नवल किशोर गुप्त, कैलाश नाथ यादव, डा. शरद कुमार श्रीवास्तव ‘शरद’, गोपाल केसरी, सिद्धनाथ शर्मा, ओम प्रकाश श्रीवास्तव, संतोष कुमार श्रीवास्तव ‘प्रीत’, कवयित्रियों में संध्या श्रीवास्तव, सिब्बी ममगाई, डा. नसीमा निशा, श्रुति गुप्ता, विन्ध्यवासिनी मिश्रा, माधुरी मिश्रा, एकता मिश्रा आदि प्रमुख रुप से उल्लेखनीय रहे।