सोनभद्र।[M.Gandhi] 133 वें राष्ट्रीय सूचना के अधिकार वेबीनार कार्यक्रम में अपना विचार रखते हुए आईटी प्रोफेसर एवं उत्तराखंड आरटीआई रिसोर्स पर्सन वीरेंद्र कुमार ठक्कर ने बताया की प्रस्तावित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022-23 के मसौदे में आरटीआई कानून को संशोधन करने वाली धारा 29(2) और 30(2) को लेकर आश्चर्य की स्थिति निर्मित हो रही है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने भी अपने रिपोर्ट में आरटीआई कानून के साथ किसी भी तरह छेड़छाड़ किए जाने का कोई उल्लेख नहीं किया था और न ही बाद में 81 बिंदुओं के दिए गए संशोधन में जॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी जेपीसी द्वारा ही आरटीआई कानून के किसी भी प्रावधान को हटाए जाने का उल्लेख नहीं था तो सवाल यह उठता है कि आखिर अचानक वर्ष 2022 में लांच किए गए प्रस्तावित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में आखिर इसकी धारा 29(2) और 30(2) में आरटीआई कानून के ऊपर प्रभाव डालने वाले संशोधनों की बात कैसे आ गई और उन्होंने सवाल खड़े किए इसमें कहीं न कहीं उच्च पदों पर बैठे हुए ब्यूरोक्रेटिक अधिकारियों की दुर्भावना प्रतीत होती है जिसकी वजह से आरटीआई कानून को कमजोर किया जाकर शासकीय कामकाज की पारदर्शिता को समाप्त किया जाए जिससे अंडरटेबल भ्रष्टाचार समाज के सामने उजागर न हो पाए। वीरेंद्र कुमार ठक्कर ने यह भी कहा कि यदि संपूर्ण डाटा बिल को पढ़ा जाए तो उसमें कई खूबियां भी हैं जो वर्तमान समय के लिए बेहद आवश्यक है लेकिन जहां तक सवाल आरटीआई कानून के दुष्प्रभावी संशोधन को लेकर है वह निश्चित रूप से चिंताजनक है और ऐसे समस्त प्रावधान हटाया जाना चाहिए जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही पर बुरा प्रभाव पड़े।
*अब सभी आंदोलन जनता के हवाले, जनता ही अपना भाग्य तय करें, हम भी आवाज उठाते रहेंगे- आत्मदीप*
पूर्व मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने बताया की वर्तमान स्थिति जिस प्रकार से निर्मित हुई है और प्रस्तावित डेटा बिल के माध्यम से सरकार ने जो मसौदा तैयार किया है उसमें आरटीआई कानून को दुष्प्रभावी ढंग से संशोधित किए जाने का प्रयास चल रहा है उन्होंने इसे अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा इसके लिए जनता को अधिक से अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है और आरटीआई कानून को बचाने के लिए सड़क पर उतरने की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि चर्चा का दौर जारी रहे और निरंतर चलता रहे और इसे एक आंदोलन का रूप लेना पड़ेगा और जब जगह-जगह चर्चाएं होंगी और राजनीतिक दलों को यह पता चलेगा कि यदि आरटीआई कानून के साथ छेड़छाड़ की गई तो यह उनकी पार्टी के लिए भी खतरा होगा तभी कुछ हो सकता है वरना तानाशाही के इस दौर में कोई भी अच्छा कानून बचाए रखना हमारे लिए एक चुनौती पूर्ण रहेगा। आत्मदीप ने बताया कि लोगों को विभिन्न राजनीतिक और गैर राजनीतिक संगठनों से लेकर विधायक सांसद और मंत्रियों के बीच में जाकर अपनी बात रखनी चाहिए और आरटीआई कानून के महत्व को रेखांकित करते हुए इस कानून को बचाए रखने के लिए प्रयास करने चाहिए। यदि नागरिक अपने जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाएंगे तो निश्चित तौर पर उन्हें झुकना पड़ेगा और आरटीआई कानून के दुष्प्रभावी संशोधन को वापस लेना पड़ेगा।
*देश के कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने रखे अपने विचार, कहा मिलकर करेंगे आंदोलन*
आयोजित किए गए 133 वें राष्ट्रीय आरटीआई वेबीनार में भारत के विभिन्न राज्यों से आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित हुए और खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में आरटीआई कानून को बचाने के लिए अपने विचार रखते हुए बंगाल से आशीष नारायण विश्वास ने बताया कि वह निरंतर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति से लेकर हर स्तर पर लेख कर रहे हैं और लोगों को जागरूक कर रहे हैं। वही कर्नाटक से सोमशेखर राव ने भी कहा कि उन्होंने भी अपने स्तर से काफी प्रयास किए हैं और लोगों को जागरूक किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ से सामाजिक कार्यकर्ता देवेंद्र अग्रवाल ने कहा कि आरटीआई कानून को बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है और यह आंदोलन आगे बढ़ना चाहिए। वही राजगढ़ से जयपाल सिंह खींची ने कहा कि वह पहले ही ज्ञापन संबंधित जिला कलेक्टर संभागायुक्त सभी को दे चुके हैं और आगे भी अपना अभियान जारी रखेंगे। उत्तर प्रदेश से एम गांधी ने कहा कि उन्होंने स्थानीय समाचार पत्रों से लेकर व्हाट्सएप ग्रुप और तमाम यह बात फैलाई है और निरंतर प्रयास कर रहे हैं लेकिन जनता अभी उतनी जागरूक नहीं हुई है हमें प्रयास जारी रखना पड़ेगा। झारखंड से मोहम्मद अंसारी एवं मेघराज सिंह ने बताया कि उन्होंने भी इस विषय पर संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों सहित प्रधानमंत्री और संबंधित कार्यालयों को पत्राचार और ईमेल करके डाटा बिल से दुष्प्रभावी आरटीआई कानून के संशोधन को वापस लिए जाने की मांग की है। गुड़गांव से महेंद्र कुमार ने भी कहा की वह भी सतत प्रयास कर रहे हैं और बात आगे तक पहुंचा रहे हैं वही आरटीआई खुलासा नाम से संचालित ग्रुप से रजी हसन ने बताया कि उनके द्वारा भी प्रयास जारी है और इसके एवज में उन्हें धमकियों का भी सामना करना पड़ रहा है लेकिन उनका आंदोलन चलता रहेगा। नागपुर से आरटीआई कार्यकर्ता विनय कांबले ने कहा कि महाराष्ट्र में तो सूचना आयोग ही पूरी तरह से आरटीआई के विपरीत काम कर रहा है और आरटीआई लगाने वालों के ऊपर उल्टा एफआईआर दर्ज करवा रहा है जो दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके विरुद्ध उनका आंदोलन जारी रहेगा। इसी प्रकार देश के हर कोने से आरटीआई और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरटीआई कानून को बचाने के लिए मुहिम तेज कर दी है और जगह-जगह ज्ञापन धरने प्रदर्शन और आंदोलन करते हुए आमजन को जागरूक करते हुए सरकार को संदेश भेज रहे हैं।
कार्यक्रम का संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी द्वारा किया गया जबकि सहयोगियों में पत्रिका समूह के वरिष्ठ संपादक मृगेंद्र सिंह, अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा एवं आरटीआई रिवॉल्यूशनरी ग्रुप के आईटी सेल के प्रमुख पवन दुबे सम्मिलित रहे।