विद्यापीठ की ओर से इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ़ विजिबिलिटी का हुआ आयोजन 

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#बनारस में प्रिज्मैटिक फाऊंडेशन और ट्रांसजेंडर सेल मा.गा.का. विद्यापीठ वाराणसी की ओर से ‘ इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ़ विजिबिलिटी ‘ का हुआ आयोजन

वाराणसी/ रविवार को अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी के अवसर पर प्रिज्मैटिक फाउंडेशन की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया। संगोष्ठी कक्ष, शिक्षा संकाय, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी में शहर के ट्रांस नागरिक और एलजीबीटी समुदाय के लोगो ने अपनी पहचान और सम्मान के लिए यह आयोजन किया। 

प्रिज्मैटिक फाउण्डेशन से नीति ने बताया कि, इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ़ विजिबिलिटी (International Transgender Day of Visibility – TDOV) प्रतिवर्ष 31 मार्च को दुनिया भर में ट्रांसजेंडर लोगों द्वारा सामना किए जाने वाले भेदभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाने की सोच से मनाया जा रहा है। साथ ही समाज में इस समुदाय के योगदान को सम्मान पूर्वक याद करते हुए हम आज के कार्यक्रम में जश्न भी मना रहें हैं। इस दिवस की स्थापना 2009 में मिशिगन यूएस में हुआ था। 

उन्होंने बताया कि एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह होता है जिनका जेंडर, समाज द्वारा दिए गए जेंडर से भिन्न होता है। उनकी जेंडर अभिव्यक्ति भिन्न हो सकती है या नहीं भी हो सकती है। इस प्रकार, एक ट्रांसपुरुष (ट्रांसमैन) वह होता है, जिसे जन्म के समय स्त्री जेंडर पहचान दे दी जाती है। लेकिन वह स्वयं की पहचान पुरुष जेंडर से करते हैं। इसी तरह,एक ट्रांसमहिला (ट्रांसवुमन) वह होती है जिसे जन्म के समय पुरुष जेंडर दिया गया होता है लेकिन वह स्वयं की पहचान महिला जेंडर से करती है। और इसी तरह कुछ लोग जेंडर (नॉन कनफॉर्मिंग) होते हैं , इनकी जेंडर की पहचान महिला- पुरुष जेंडर से भिन्न होती है।

प्रिज्मैटिक फाउण्डेशन से आरोही ने बताया कि वर्तमान समय में समाज में स्थिति को समझने के लिए एक अध्ययन के अनुसार LGBTQ के 50% से ज्यादा लोग हर प्रकार के इलाज के दौरान किसी न किसी रूप में भेदभाव का अनुभव करते। Indian Journal for Psychological Medicine, के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 31% ट्रांसजेंडर आत्महत्या करके अपना जीवन खत्म कर लेते हैं, और उनमें से 50% अपने 20 साल की उम्र के पहले कम से कम एक न एक बार आत्महत्या करने की कोशिश किये रहते हैं।  

प्रो. संजय, समन्वयक ट्रांसजेंडर सेल, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने अवगत कराया कि महामहिम श्रीमती आनंदीबेन पटेल, राज्यपाल एवं कुलाधिपति जी के निर्देश एवं कुलपति, प्रो. आनंद कुमार त्यागी जी की प्रेरणा से इस सेल का गठन किया गया है। जिसका प्रमुख उद्देश्य है- क्वीयर समुदाय से सम्बंधित विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के प्रति जागरूक करना, उनका विश्विद्यालय में प्रवेश एवं स्कालरशिप सुनिश्चित करना, उन विद्यार्थियों हेतु सुरक्षित माहौल का निर्माण करना, ट्रांसजेंडर विषय पर शोध एवं अध्ययन-अध्यापन करना ताकि अन्य लोग ट्रांसजेंडर की सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक एवं राजनीतिक समस्याओं के प्रति जागरूक हो सकें और इस समुदाय के हित में संवैधानिक व्यवस्था, रोजगार के सुरक्षित अवसर, ग्रामीण एवं नगरीय अवस्थापनाओं में इस समुदाय की आवश्यकतानुसार व्यवस्था जैसे- सार्वजनिक स्थलों पर अलग से शौचालयों की व्यवस्था इत्यादि।

एशियन ब्रिज इंडिया के संयोजक मोहम्मद मूसा ने यह भी बताया कि ट्रांस पर्सन्स के मानवाधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए भारत की संसद ने ट्रांस नागरिक अधिकार अधिनियम 2019 में पारित किया ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के हित संरक्षण को ध्यान में रखते हुए ‘ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 ‘ में लागु किया गया है। जिसके माध्यम से इस समुदाय के शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और गरिमायुक्त रोजगार की उपलब्धता के साथ हिंसा एवं भेदभाव से बचाव भी किया जा सके।

इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए वाराणसी जनपद में इनके प्रति सकारात्मक एवं सहज माहौल बनाने हेतु आज इंटरनेशनल ट्रांसजेंडर डे ऑफ विजिबिलिटी का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम के अंतिम चरण में के  प्रिज्मैटिक फाउंडेशन द्वारा बनारस क्वीर प्राइड 2023 स्वयं सेवकों के लिए प्रमाण पत्र वितरण कर शुभकामनाओं के साथ सम्मानित किया गया। जिसमें आर्या, वैभव, अंकित, दीक्षा, शिवांगी, अनुज, सैम, परिक्षित, साहिल  अपना क्वीर-ट्रांस रंग दिखाकर होली रंगों के साथ कार्यक्रम को समाप्त किया गया। कार्यक्रम का संचालन नीति ने किया। सभा में आए लोगों का स्वागत .दीक्षा  ने और धन्यवाद ज्ञापन शालिनी ने किया। कार्यक्रम के दौरान सक्रिय रूप से रागिनी, राम प्रकाश, शानू भाई, जानवी सिंह अनेक एलजीबीटी समुदाय के लोग और ट्रांस नागरिक मौजूद रहे। 

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