स्याही प्रकाशन से प्रकाशित उर्दू की पुस्तक ‘तस्वीर-ए-हर्फ’ का किया गया लोकार्पण

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वाराणसी। नगर के जेल गूलर स्थित मदर हलीमा सेंट्रल स्कूल में स्याही प्रकाशन द्वारा प्रकाशित उर्दू काव्य संग्रह तस्वीर-ए-हर्फ का लोकार्पण किया गया। यह किताब बनारस के ख्याति लब्ध शायर मिर्जा अतहर हुसैन ‘अतहर’ बनारसी ने लिखी है।कार्यक्रम में मुख्य रूप से उपस्थित सज्जनों में वतौर अध्यक्ष उर्दू विभाग बीएचयू के पूर्व अध्यक्ष डा. याकूब यावर  मुख्य अतिथि डॉ. अफजाल मिस्बाही असिस्टेंट प्रोफेसर उर्दू विभाग बीएचयू, विशिष्ट अतिथि मौलाना नसीर सिराजी, मौलाना जहीन हैदर साहब ‘दिलकश’ गाजीपुरी एवं ‘स्याही प्रकाशन’ के निदेशक व साहित्यकार छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ मौजूद रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन जामिया अस्पताल बनारस के सीएमओ डॉ सफीक हैदर ने किया। लोकार्पण कार्यक्रम में अनेक जनपदों के साहित्यकार शामिल हुए यह किताब उर्दू लिपि में लिखी गई एक मुकम्मल काव्य संग्रह है अपने वक्तव्य में बोलते हुए। सभा के अध्यक्ष व उर्दू विभाग बीएचयू से सेवानिवृत डॉक्टर याकूब यावर ने कहा कि उर्दू लिपि में प्रकाशित यह किताब उर्दू भाषा को और मजबूत बनाने में असरदार काम करेगी। साथ ही यह किताब उन लोगों को जरूर पढ़नी चाहिए जो उर्दू के विद्यार्थी हैं और साहित्य के प्रेमी हैं। क्योंकि यह किताब एक दीवान है और दीवान में सभी तरह की ग़ज़लों व नब्जों का समावेश होता है। हर अजीब के लिए यह किताब उपयोगी साबित होगी। कार्यक्रम में अपने किताब पर बोलते हुए अतहर बनारसी ने कहा कि यह किताब मेरे जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि है। मैंने अपने जीवन की समाप्ति के लिए एक बार प्रयास किया था। लेकिन बच जाने के बाद यह किताब लिखी है। मैंने पूरी कोशिश की है कि तस्वीर-ए-हर्फ उर्दू जबान में लिखी गई एक अच्छी और मुकम्मल किताब बन सके। मैंने अपने जीवन में अर्जित अनुभवों व तालीम को इस किताब में उतारने की पूरी कोशिश की है। अब लोग यह तय करेंगे कि यह किताब कितनी उपयोगी व सफल बन पायी है। वैसे मैंने अपनी सभी पीड़ा व संवेदनाओं को उसमें सजो दिया है।

आखिरी में धन्यवाद ज्ञापन व प्रकाशकीय संबोधन में प्रकाशन के अधिष्ठाता व साहित्यकार छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने अपने दो शब्द में कहा कि एक जीवन समाप्त करने की विफल कोशिश करने के बाद दूसरे जीवन में लिखी गई है किताब लेखक को तीसरी जिंदगी दे देती है। अब लेखक अपने पुस्तक के रूप में शुरू हो रही इस तीसरी जिंदगी को किसी नींद की गोली से मार नहीं सकता। अब यह किताब लेखक को अमर कर देगी। उर्दू लिपि में लिखी गई यह किताब समाज के लिए आगे आगामी पुस्तकों के प्रकाशन में मील का पत्थर साबित होगी। उर्दू भाषा के जानकार लोगों के लिए यह किताब एक अध्ययन सामग्री है। यह पुस्तक उर्दू के अनेक काव्य विधाओं से परिचित कराएगी। साहित्यकार, शायर व एक शिक्षक के द्वारा लिखी गई यह किताब आगामी कई पीढ़ियों को उर्दू भाषा एवं लिपि के साथ ही उर्दू साहित्य की विधा तथ अच्छी शायरी से परिचय कराती रहेगी श्री छतिश द्विवेदी ‘कुंठित’ ने अपने जीवन में उर्दू प्रेम को लेकर भी काफी भावनाएं साझा किया। वे अपने एक मुक्तक से अपनी बात समाप्त किये:
गहन कल्पना की रेखा से निर्मित अर्थाकार समझना,
भावों की व्यापकता को तुम नहीं मापना, सार समझना,
कागज के पन्नों में मेरी पीड़ा के आंसू रख्खे हैं
अक्षर अक्षर जो उभरे हैं उनको मेरा प्यार समझना!

सभा में साहित्यकारों में सुनिल सेठ, आशिक बनारसी, खलील अहमद राही, डा. लियाकत अली, शिवकान्त गोस्वामी, विवेक गोस्वामी के साथ सेन्ट्रल स्कूल के निदेशक मण्डल के लोग मौजूद रहे।

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