वाराणसी| बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर के 131 जयन्ती के उपलक्ष्य में संस्था जनमित्र न्यास/मानवाधिकार जननिगरानी समिति के द्वारा अपने कार्यालय उर्मिला निलयम के तृतीय तल पर निर्मित मिर्ज़ा ग़ालिब ग्लोबल सेंटर फॉर डाईवेर्सिटी एंड प्लूरलिज्म (Global Center for Diversity and Pluralism) का उद्घाटन श्री आर० पी० सिंह, पूर्व असिस्टेंट डायरेक्टर, गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया गया|
संस्था के संस्थापक डॉ लेनिन रघुवंशी को इस वर्ष ग्लोबल प्लूरलिज्म अवार्ड स्पेशल मेंशन कनाडा से सम्मानित भी किया गया है, डॉ लेनिन रघुवंशी ने इस मौके पर हेल्मा रिचा (Helma Ritscher), अध्यक्ष इंडो- जर्मन सोसाइटी ऑफ़ रेमसाईड का शुभकामना सन्देश भी पढ़कर सुनाया| उन्होंने कहा कि हेल्मा रिचा को भी भारत और खासकर बनारस शहर से उतना ही प्यार है जितना किसी दूसरे भारतीय को, इसलिए उन्होंने इस विरासत को आने वाले पीढियों को रूबरू कराने के लिए इस सेंटर के निर्माण के लिए इंगेजमेंट ग्लोबल- जर्मनी (Engagement Global – Germany) और इंडो- जर्मन सोसाइटी ऑफ़ रेमसाईड (Indo- German Society of Reimschied) से वितीय सहयोग प्रदान किया| हेल्मा ने इस सेंटर को “ग्लोबल हाउस” भी कहा |
डॉ लेनिन ने आगे कहा कि इस सेंटर में लाइब्रेरी और बनारस शहर के बहुलतावादी, समावेशी और साझी विरासत को समझने के लिए कोर्स का शुरुआत भी किया जायेगा।
श्री आर०पी० सिंह जी ने कहा कि काशी की शास्त्रध की परंपरा और वसुधैव कुटुम्बकम को अब दुनिया भर में पहचाना जा रहा। यह केंद्र उसी की कड़ी है।
डॉ शाहीना रिज़वी, पूर्व विभागाध्यक्ष, उर्दू विभाग, महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ व ट्रस्टी जनमित्र न्यास ने कहा कि “मिर्ज़ा ग़ालिब 19वीं सदी के भारतीय साहित्य में सबसे बड़े और महान शायर के रूप में पहचान किया गया है| बनारस के बनारसी मिजाज़ से वह इतना प्रभावित हुए कि, यंहा से यात्रा पर गुजरते हुए चार सप्ताह तक रुकने के लिए मजबूर हो गए| ग़ालिब ने बनारस की याद में फ़ारसी में 108 मिसरों की मसनवी (उर्दू भाषा में विशेष तरह कि कविता )लिखी| जिसका नाम चिराग – ए दैर; अर्थात मंदिर का दीप रखा | बनारस के लिए यह उपमा अद्वितीय है| 1861 को बनारस की याद आयी तो मिर्ज़ा ग़ालिब ने सय्याह को ख़त लिखा कि “बनारस का क्या कहना! ऐसा शहर कहाँ पैदा होता है| इन्तहा – ए- जवानी में मेरा वहाँ जाना हुआ| अगर इस मौसम में जवान होता तो वहाँ रह जाता इधर को न आता”| उद्घाटन में उपस्थित लोगो का धन्यवाद देते हुए संस्था की मैनेजिंग ट्रस्टी श्रुति नागवंशी ने कनाडा के हाई कमीशन को भी शुभकामना सन्देश देने के लिए धन्यवाद दिया| इस मौके पर सुप्रसिद्ध सरोद वादक पंडित विकाश महाराज और श्री व्योमेश शुक्ल सहित शहर के विभिन्न क्षेत्र से तक़रीबन 50 लोग उपस्थित थे|