मनोज पांडेय
प्रयागराज। रज्जू भैया शिक्षा प्रसार समिति द्वारा संचालित ज्वाला देवी सिविल लाइन्स प्रयागराज में हिन्दी दिवस के अवसर पर कार्यक्रम का अयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ माॅ सरस्वती के सम्मुख दीपार्चन एवं पुष्पार्चन से हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में डाॅ योगेन्द्र प्रताप सिंह (विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय) तथा प्रधानाचार्य रामजी सिंह जी उपस्थित रहें। प्रधानाचार्य के द्वारा मुख्य अतिथि को अंगवस्त्रम, साहित्य एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की प्रस्ताविकी रखते हुये हिन्दी विषय के आचार्य सरोज कुमार द्विवेदी ने हिन्दी भाषा की उपयोगिता एवं महत्ता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि हिन्दी अपने राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है अतः राष्ट्र एवं समाज की उन्नति के लिये हमें हिन्दी भाषा के विकास के लिये निरन्तर प्रयास करना चाहियें। हर वर्ष 14 सितंबर हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है और इस सप्ताह को हिंदी पखवाड़ा कहा जाता है। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं मे से हिंदी चैथी है। आजादी मिलने के बाद, देश मे अंग्रेजी के बढ़ते उपयोग और हिंदी के बहिष्कार को देखते हुए हिंदी दिवस मनाने का निर्णय लिया गया। साथ ही उन्होने विभिन्न आयामों एवं प्रतियोगिताओं के माध्यम से हिन्दी की उपयोगिता एवं वर्तमान समय में हिन्दी भाषा की उपादेयता पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर वाई पी सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी भाषा को देवनागरी लिपि में भारत की कार्यकारी और राजभाषा का दर्जा आधिकारिक रूप में दिया गया। गांधी जी ने हिन्दी भाषा को जनमानस की भाषा भी कहा है। भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में हिन्दी को संघ की राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी दिवस 14 सितंबर का दिन वह है जब हम सभी अपनी राष्ट्रभाषा हिन्दी का प्रचार और प्रसार करते हैं। हिंदी पूरी दुनिया में सबसे अधिक बोली जानें वाली मूल भाषा है। 2011 सेन्सस रिपोर्ट के अनुसार भारत की सबसे अधिक बोले जाने वाली भाषा हिंदी है। 2001 में 41.03 प्रतिशत मातृभाषा हिंदी बोलने वाले लोग थे वहीं 2011 में यह प्रतिशत बढ़ कर 43.63 प्रतिशत हो गया। हिन्दी का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना है और भारत में 1949 से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। हम सबके लिए हिंदी दिवस और हिंदी भाषा का बहुत महत्त्व है। हिंदी हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि हिंदुस्तानियों की पहचान भी है। आज के आधुनिक युग में हमें अंग्रेजी भाषा भी सीखना जरूरी है लेकिन हमें अपनी मातृभाषा हिंदी को कभी नहीं भूलना चाहिए। हमें “हिंदी है हम वतन है” नारे का सम्मान करना चाहिए।
हिन्दी भाषा के महत्ता पर प्रकाश डालते हुयें हरेकृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि जिस तरह से भारतेन्दु जी ने कहा था कि हिन्दुस्तान का विकास तभी सम्भव है जब उसकी राज्य भाषा हिन्दी का विकास होगा। उन्होने कहा कि इस अवसर पर जिन महापुरुषों ने हिन्दी भाषा के विकास एवं प्रचार-प्रसार में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ऐसे महापुरुष मदन मोहन मालवीय, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त, महावीर प्रसाद द्विवेदी आदि महापुरुषों को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
इसी क्रम में विद्यालय के प्रधानाचार्य रामजी सिंह ने हिन्दी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये कहा कि हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान की जननी है, इस भाषा को भारतवर्ष के निवासी मातृभाषा का दर्जा देते हैें। इस दृष्टि से इसका उत्थान करना हमारा मुख्य कर्तव्य होना चाहिये। उन्हाने कहा कि हिन्दी भाषा हमारे राष्ट्र का गौरव है अतः हमें इसकी अक्षुण्यता बनाये रखने के लिये निरन्तर प्रयासरत रहना चाहिये। इसी क्रम में हिन्दी विषय के आचार्य सरोज ने आये हुये अतिथि तथा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े हुये सभी लोगों के प्रति अपना आभार ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के हिन्दी विषय के आचार्य ब्रह्मनारायण तिवारी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर हिन्दी विषय के आचार्य सन्तोष दुबे, रामानन्द वैश्य, गणेशजी द्विवेदी, पवन सिंह सहित अन्य आचार्य बन्धु भगिनी उपस्थित रहें।