वाराणसी ! पुण्य शुक्रवार अर्थात गुड फ्राइडे के दिन प्रेरणा कला मंच के कलाकारों ने प्रभु येशु ख्रीस्त की दु:खपीड़ा और सलीब पर उनकी शहादत के मर्मस्पर्शी और दारुण दृश्यों का मंचन बड़ी संजीदगी के साथ किया| क्राइस्ट नगर स्थित मातृधाम आश्रम में जुटे मसीही श्रद्धालु भक्तों ने ‘प्रेम बलिदान’ नाटक को बड़ी भक्ति और श्रद्धा के साथ देखा| येशु के घोर विरोधी महापुरोहित अन्नस और कैफस और येशु के शिष्य युदस इस्करियोती के बीच कुटिल साजिश और येशु की गिरफ्तारी की रणनीति के साथ नाटक का प्रारम्भ हुआ| उसके बाद गेदसेमनी बाग़ में येशु की प्रार्थना के दौरान गिरफ्तारी, धर्म संसद में उनपर ईशनिंदक और अधर्मी होने के अभियोग, रोमी राज्यपाल पिलातुस के आदेश पर सिपाहियों द्वारा उन्हें चालीस कोड़ों से मारे जाने और यहूदी धर्मगुरुओं के दबाव में आकर राज्यपाल द्वारा उन्हें मृत्युदण्ड दिए जाने के हृदयस्पर्शी दृश्यों की मार्मिक प्रस्तुति हुई | येशु के कन्धों पर भारी क्रूस लादकर कलवारी पहाड़ की ओर दर्दभरी उनकी यात्रा के दौरान उनकी माता के साथ मुलाक़ात होती है | भारी क्रूस के नीचे सिपाहियों की मार खाते खाते येशु बार बार गिरने का दृश्य देखकर दर्शक भावुक होने लगे | कलवारी पहाड़ पर पहुंचकर उन्हें नग्न करना, क्रूस पर बड़े कीलों से उनकी हथेलियों और पाओं को ठोका जाना और अंत में क्रूस पर तीन घंटों की पीड़ा सहने के बाद उनकी दारुण मृत्यु के दृश्यों को दर्शकों ने सजल आँखों से देखा | जब येशु के शव को क्रूस से उतारकर उनकी माता मरियम की गोद में रखने और कफन में लपेटकर कब्र में रखने के दृश्यों का मंचन हुआ तब कुछ दर्शक सिसकियाँ लेते रहे, और कोई फफक-फफक कर रो भी रहे थे | प्रभु येशु की भूमिका में मुकेश कुमार झंझरवाला ने जीवंत अभिनय करके सबको अभिभूत किया| अपने बेटे की पीडाओं को देखकर विलाप करती उनकी माँ मरियम की भूमिका को अवन्तिका भारद्वाज ने सुन्दर तरीके से अभिनय किया| रंजीत कुमार (महापुरोहित कैफस), संदीप कुमार (महापुरोहित अन्नस), प्रमोद पटेल (रोमी राज्यपाल पिलातुस), अजीत गौरव (यूदस इस्करियोती), जीवन नायक (धर्मगुरु निकोदेमुस), चन्दन शर्मा (उग्रवादी बराब्बस) ने अपने गंभीर अभिनय से सबको प्रभावित किया| येशु के शिष्य पेत्रुस, योहन और याकूब की भूमिकाओं में गोविंदा, विजय प्रकाश और रविकान्त प्रभात ने सुन्दर अभिनय किया| अजय पाल, अजय चौहान, सत्यम कुमार और शशांक द्विवेदी रोमी सिपाहियों की क्रूरता को दर्शाने में सफल रहे| गौरीशंकर नागवंशी और पिंकी ने गायक सूत्रधारों के किरदारों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया| बलिंदर, रसाल, शिशिर, संजीव कुजूर ने यहूदी नेताओं की भूमिका में तथा सीता, मनीशा, संजना, निशा, पूजा आदि येशु के नारी शिष्यों के रूप में मंच पर आये| इस नाटक का आलेख एवं निर्देशन फादर आनंद ने किया जिसमे प्रदीप दीपक ने गायन और संगीत निर्देशन भी किया| मालूम हो कि प्रेरणा कला मंच के अभिनेता इस नाटक को सन १९९५ से लेकर आज तक लगातार् हर गुड फ्राइडे के दिन प्रस्तुत करते आ रहे हैं| फादर प्रवीण जोशी एवं नाटक के मंचन के बाद आये हुए भक्तों ने समस्त संसार की आवश्यकताओं के लिए विशेष सामूहिक प्रार्थना की| क्रूस की आराधना के द्वारा सभा समाप्त हुई|