वाराणसी/ सारनाथ म्यूजियम पर गुजरात दंगा प्रभावित गैंगरेप पीड़िता के समर्थन में विरोध मार्च आयोजित हुआ। कार्यक्रम में प्रेरणा कला मंच द्वारा जनगीतों का गायन व मंचन पीड़िता के समर्थन में हुआ। कार्यक्रम के आयोजनकर्ता के रूप में दखल संगठन व जॉइंट एक्शन कमिटी- BHU ने उपस्थिति दर्ज की।
ज्ञातव्य है कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात मे साबरमती ट्रेन में आगजनी के बाद दंगे भड़क उठे थे। पूरा गुजरात साम्प्रदायिक दंगे की चपेट में आ गया था। पुलिस और अन्य सरकारी मशीनरी कुछ कर नही पा रही थी। 3 मार्च को बिलकिस के घर हथियार से लैस दंगाई घुस गए। 5 माह की गर्भवती बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। तीन साल की बच्ची का सर दीवाल पर पटककर उसकी हत्या कर दी गयी। परिवार के अन्य महिला सदस्यों के साथ भी बलात्कार किया गया। और 17 परिवार सदस्यों में से 7 की हत्या की गई। पुलिस ने केस दर्ज करने में काफी हीलाहवाली की। बाद में दबाव बढ़ने पर केस सीबीआई को दिया गया। सीबीआई ने अपने जांच में पुलिस को केस खराब करने वाले के रूप में लिखा है। मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद 2008 में सभी 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा हुई। लेकिन आश्चर्यजनक तरीके से इसी 15 अगस्त को इन बर्बर पाशवी प्रवृत्ति के लोगों को जेल से छोड़ दिया गया।
कार्यक्रम स्थल पर हुई सभा व मार्च मे आयोजनकर्ताओं ने यह संदेश देने की पहल की यह मुहिम अन्याय के खिलाफ के साथ भारत को जोड़ने की अपील भी है। भगवान बुध्द के स्थल से बिलकिस को न्याय दिलाने की आवाज में आमजनों का भी भरपूर समर्थन मिला।
विरोध सभा को मुख्य रूप से फादर आनंद, जागृति राही, एकता शेखर व मुनीज़ा खान ने संबोधित किया। सभा का संचालन नंदलाल मास्टर ने किया।
बिलकिस बानो मामले में सरकार का कदम उसके बहुसंख्यकवादी एजेंडे के अनुरूप है और इसीलिए भाजपा नेताओं द्वारा इसकी प्रशंसा की जा रही है। साम्प्रदायिक नफरत भारत के लिए एक गंभीर चुनौती है । देखा जा रहा कि कैसे सरकार द्वारा संस्थानों का इस्तेमाल भारत के लोगों की सेवा करने के बजाय अपने सांप्रदायिक एजेंडे को स्थापित करने और फैलाने के लिए किया जा रहा है। सभा मे शामिल सभी लोगो ने एक स्वर में कहा कि हम भारत के लोग सांप्रदायिक नफरत , हिंसा और जनविरोधी नीतियों की राजनीति को खारिज करते हैं। वक्ताओं ने कहा कि हम बिलकीस बानो के लिए न्याय चाहते हैं। और सभी 11 अपराधियों की समयपूर्ण रिहाई का फैसला वापस लेने की मांग करते हैं।
विरोध मार्च में प्रमुख रुप से रंजू, नन्दलाल मास्टर, वल्लभ पांडेय, जागृति राही, मुनीज़ा, शबनम, दीक्षा,कुंदन,एकता,रवि, शिवांगी, फादर आनन्द, इंदु, नीति भाई, महेंद्र, सानिया, रैनी, विजेता ,प्रतीक, अर्चना,सुरेंद्र,सूबेदार, निर्भय, निति रिषभ, मुकेश झंझरवाला, धनञ्जय,पीयूष, चंदन, रामजनम,फजूल रहमान अंसारी, कैसर जहां, अनूप श्रमिक, हर्षित, शांतनु एवं प्रेरणा कला मंच के साथियों सहित छात्र युवा महिलाएं और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे।