गंगाराम दास ने स्थापित किया अहरौरा में ठाकुर जी की प्रतिमा

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मथुरा में यमुना नदी से मिली है गंगाराम दास को प्रतिमा 

अहरौरा, मिर्जापुर/ नगर के सत्यानगंज मोहल्ले में स्थित राधा कृष्ण मंदिर में विराजमान ठाकुर जी की प्रतिमा को महात्मा गंगाराम दास जी ने स्थापित किया है। यह मूर्ति स्वय कृष्ण भगवान के स्वप्न के बाद गंगाराम को मथुरा स्थित यमुना नदी में स्नान करते वक्त मिली है।

वनस्थली महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य सिद्ध नाथ गुप्ता ने अपनी पुस्तक में लिखा है की गंगा राम एक संत थे जो दुर्गा जी मन्दिर के पास स्थित कदंब के बृक्ष के पास कुटिया बनाकर रहते थे एक रात वे सोए थे तो उनको बासुरी बजने की आवाज सुनाई दी और गंगाराम को स्वप्न मिला की तुम हमसे मथुरा में मिलो मैं वही तुमको मिलूगा। गंगा राम दो तीन दिनों बाद मथुरा पहुंच गए और वहां यमुना नदी में स्नान करते वक्त भगवान कृष्ण की उक्त प्रतिमा मिली जिसको लाकर वे पुनः दुर्गा जी मन्दिर के पास स्थित अपनी कुटिया में रखकर पूजन अर्चन करने लगें ।

एक बार कुछ संतो का समूह गंगा राम की कुटिया पर पहुंचा और मूर्ति को देखकर चुराना चाहा यह बात गंगाराम को पता चल गई और वे मूर्ति लेकर अंतर्ध्यान हो गए और और वर्तमान में राधा कृष्ण मंदिर के पास स्थित पीपल के वृक्ष के पास प्रगट हुए और यहां पूजन अर्चन करने लगें।

ठाकुर जी की मूर्ति 

राधा कृष्ण मंदिर में विराजमान ठाकुर जी की मूर्ति श्याम पत्थर की बनी हुई हैं और मूर्ति 12 इंच लंबी है जो बंशी बजाते हुए त्रिभंगी मुद्रा में है। मूर्ति का पत्थर स्निग्ध एव चिकना है। मन्दिर में श्री कृष्ण की मूर्ति अकेली थी बाद में स्थानीय भक्तो ने राधा जी की अष्टधातु से निर्मित मूर्ति स्थापित कर राधा कृष्ण की जोड़ी बनाई। बाद में कई लोगों ने कई मूर्तियां दी जो मन्दिर में विराजमान हैं।बताया जाता हैं की राधा कृष्ण मन्दिर का निर्माण 1878 में साहू बेचूलाल ने कराया है। वही इसके पूर्व ठाकुर जी की प्रतिमा की स्थापना गंगाराम दास जी द्वारा 1843 के आसपास लाकर किए थे। गंगा राम दास ने यही समाधि ले ली जिनका समाधि स्थल आज भी स्थित हैं।

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